कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 के मुकाबले गुरुवार से शुरू हो जाएंगे. भारत ने पिछले ग्लास्गो कॉमनवेल्थ में 15 गोल्ड, 30 सिल्वर, 19 ब्रॉन्ज सहित 64 मेडल जीते थे. चार साल बाद अब गोल्ड कोस्ट में भारत की पदक उम्मीदों और छिपे रूस्तमों पर डालते हैं एक नजर :
1. निशानेबाजी : राष्ट्रमंडल खेलों में निशानेबाजी में भारत पदकों के मामले में दूसरे स्थान पर है. एक बार फिर निशानेबाजी रेंज से भारत की झोली भरने की उम्मीद है.निशानेबाजी में भारत को इनसे उम्मीदें हैं –
हीना सिद्धू : पंजाब की यह पिस्टल निशानेबाज शानदार फॉर्म में है, जिसने कुछ महीने पहले राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप में तीन स्वर्ण पदक जीते हैं. वह महिलाओं की 25 मीटर पिस्टल और 10 मीटर एयर पिस्टल में भाग लेंगी.
मनु भाकेर : सोलह साल की मनु ने कुछ सप्ताह पहले सीनियर विश्व कप में पदार्पण करके दो स्वर्ण पदक जीते. उसने जूनियर विश्व कप में इस प्रदर्शन को दोहराया. अब 10 मीटर एयर पिस्टल में हीना के साथ उतरेंगी.
जीतू राय : सेना का यह निशानेबाज 50 मीटर एयर पिस्टल में लगातार दूसरा राष्ट्रमंडल स्वर्ण जीतना चाहेगा. जीतू 10 मीटर एयर पिस्टल में भी चुनौती पेश करेंगे और गोल्ड कोस्ट में पदक जीतकर रियो ओलंपिक 2016 की नाकामी का गम दूर करना चाहेंगे.
2. एथलेटिक्स : भारत ने 2014 राष्ट्रमंडल खेल में एथलेटिक्स में एक स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक जीता था.
नीरज चोपड़ा : 30 साल का यह भालाफेंक खिलाड़ी अपेक्षाओं का भारी बोझ लेकर उतरेगा. लंदन में कुछ महीने पहले सीनियर विश्व चैंपियनशिप में वह फाइनल के लिए क्वालिफाई नहीं कर सका था. पिछले साल एशियाई चैंपियनशिप में मिला स्वर्ण अब तक उनके करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि है .
सीमा पूनिया : ग्लास्गो में रजत पदक जीतने वाली चक्काफेंक खिलाड़ी सीमा की नजरें पीले तमगे पर होंगी. उसने पिछले महीने फेडरेशन कप में 61.05 मीटर का रिकॉर्ड बनाया. अब देखना यह है कि एशियाई खेलों की चैंपियन सीमा क्या गत स्वर्ण पदक विजेता ऑस्ट्रेलिया की डैनी स्टीवेंस को पछाड़ सकेंगी.
तेजस्विन शंकर : उन्नीस साल के हाई जंपर ने फेड कप में अपना ही राष्ट्रीय रिकॉर्ड बेहतर करके उम्मीदें जगाईं.
3. बैडमिंटन : ग्लास्गो में भारत ने बैडमिंटन में चार पदक जीते और पारूपल्ली कश्यप ने 32 साल बार पुरुष एकल स्वर्ण अपने नाम किया. इस बार सितारों से सजे भारतीय दल से काफी उम्मीदें होंगी.
पीवी सिंधु : ओलंपिक रजत पदक विजेता सबसे बड़ी पदक उम्मीद हैं. उसने पिछली बार कांसा जीता था और इस बार पदक का रंग बदलना चाहेगी.
साइना नेहवाल : करियर के लिए खतरा बनी घुटने की चोट से उबरकर वापसी कर रहीं 2010 की स्वर्ण पदक विजेता साइना यदि फिटनेस बरकरार रख पाती हैं, तो पदक की प्रबल दावेदार होंगी. पिछली बार चोटों के कारण वह इन खेलों से बाहर थीं.
किदांबी श्रीकांत: चोटिल कश्यप की गैर मौजूदगी में भारत क पुरुष एकल में पदक दिलाने का दारोमदार श्रीकांत पर होगा. वह 2014 खेलों में क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे थे, लेकिन पिछले साल चार सुपर सीरीज खिताब जीते.
4. मुक्केबाजी : पिछली बार भारतीय मुक्केबाजों में से कोई स्वर्ण नहीं जीत सका था, लेकिन इस बार भारत का दमदार दल इस कमी को पूरा कर सकता है.
भाग लेंगी. पांच बार की विश्व चैंपियन और ओलंपिक कांस्य पदक विजेता मेरी कॉम 48 किलो में स्वर्ण की दावेदार हैं. वह अपने पहले और आखिरी राष्ट्रमंडल खेलों को यादगार बनाना चाहेंगी.
विकास कृष्णन : भारत के चार विश्व चैंपियनशिप पदक विजेताओं में से एक विकास ने बुल्गारिया में स्ट्रांजा स्मृति टूर्नामेंट में स्वर्ण जीता था. मेरी कॉम की तरह उनका भी यह इन खेलों में पदार्पण है और 75 किलो में पदक के प्रबल दावेदार है.
अमित फांगल : एशियाई चैंपियनशिप के कांस्य पदक विजेता अमित ने भी स्ट्रांजा टूर्नामेंट में स्वर्ण जीता था. पिछले साल विश्व चैंपियनशिप में क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे अमित पदक के दावेदारों में से हैं.
5. कुश्ती : कुश्ती में भारत राष्ट्रमंडल खेलों की पदक सूची में भारत दूसरे स्थान पर है और इस बार भी पहलवानों से काफी पदकों की उम्मीद होगी.
सुशील कुमार : पिछले खेलों के स्वर्ण पदक विजेता सुशील ने विवादों से भरे दो साल के बाद वापसी की है. वह पुरुषों के 74 किलो फ्रीस्टाइल वर्ग में एक और स्वर्ण जीतना चाहेंगे.
साक्षी मलिक : रियो ओलंपिक कांस्य पदक विजेता साक्षी ने ग्लास्गो में रजत पदक जीता था. वह 62 किलो फ्रीस्टाइल में पदक की दावेदार होंगी.
विनेश फोगाट : ग्लास्गो की स्वर्ण पदक विजेता विनेश रियो ओलंपिक के दौरान चोटिल हो गईं, लेकिन एशियाई चैंपियनशिप में रजत पदक जीता.
6. भारोत्तोलन : विश्व चैंपियन मीराबाई चानू ( 48 किलो ) के नाम राष्ट्रमंडल खेलों का रिकॉर्ड है. उनसे एक बार फिर स्वर्ण की उम्मीद होगी.
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