कराची: पाकिस्तान की हॉकी टीम के महान गोलकीपर रहे मंसूर अहमद की कराची के एक अस्पताल में शनिवार को मौत हो गई। 49 वर्षीय मंसूर ख़ान दिल की बीमारी से जूझ रहे थे। उन्होंने भारत आकर इलाज कराने की इच्छा ज़ाहिर की थी और भारत सरकार से वीज़ा देने की अपील भी की थी।
मंसूर ख़ान के दिल में पेसमेकर और स्टेंट लगे थे जिनमें दिक्कत आ रहीं थीं।
ख़बरों के मुताबिक पाकिस्तान की सरकार ने उन्हें मैकेनिकल हार्ट ट्रांसप्लांट का प्रस्ताव दिया था और अगर वो इसे स्वीकार कर लेते तो ये पाकिस्तान में इस तरह का पहला ऑपरेशन होता। हालांकि मंसूर ख़ान ने इस प्रस्ताव को नकार दिया था और वो भारत आकर हृद्य प्रत्यारोपण कराना चाहते थे। यूट्यूब पर पोस्ट किए एक वीडियो में मंसूर अहमद ने कहा था आज मुझे दिल की ज़रूरत है और मैं भारत सरकार की मदद चाहता हूं।
एक यूट्यूब चैनल से बात करते हुए मंसूर अहमद ने कहा थाए ष्जब मैं जवानी में हॉकी खेलता था तो मैंने कई भारतीयों के दिल तोड़े थे। बड़े.बड़े टूर्नामेंट भारत से छीन कर लाया हूं। पर आज मुझे भारत की ज़रूरत है। भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद पाकिस्तान के लोग मेडिकल वीज़ा के लिए आवेदन कर सकते हैं।
मंसूर अहमद को पाकिस्तान में हॉकी लीजेंड समझा जाता है। वो नेशनल टीम में गोलकीपर थे और उन्होंने 300 से अधिक अंतरराष्ट्रीय मैच खेले थे। वो 1992 में बार्सिलोना ओलंपिक में कांस्य जीतने वाली टीम और 1994 में सिडनी में हुए हॉकी वल्र्ड कप में विजेता टीम के सदस्य रहे थे। उन्हें चार बार दुनिया का सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर घोषित किया गया था। साल 1988 में उन्हें पाकिस्तान का राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिला था।