नई दिल्ली। आधार नंबर की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बहुत सारी सेवाओं के लिए इसका प्रयोग बरकरार रखा है। हालांकि कोर्ट ने कई सेवाओं में आधार नंबर का प्रयोग करना अवैध करार कर दिया है।

कोर्ट ने राशन कार्ड, पैनकार्ड, आयकर रिटर्न, वृद्घावस्था पेंशन, दिव्यांग पेंशन और नेत्रहीन पेंशन के लिए आधार कार्ड को जरूरी बताया है। वीीं स्कूल में एडमिशन, सीबीएसई परीक्षा, बैंक खाता, मोबाइल सिम, जेईई, कैट और नेट जैसी परीक्षा में आधार कार्ड जरूरी नहीं है। उच्चतम न्यायालय में प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम खानविलकर और न्यायमूर्ति ए.के सीकरी ने आधार पर फैसला देते हुए कहा कि संवैधानिक रूप आधार वैध है।
आधार की संवैधानिक वैधता और इसे लागू करने वाले वर्ष 2016 के कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर साढ़े चार महीने बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि सर्वश्रेष्ठ होने के मुकाबले अनूठा होना बेहतर है आधार का अर्थ अनूठा है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि आधार के लिए यूआईडीएआई ने न्यूनतम जनांकीकीय और बायोमेट्रिक आंकड़े एकत्र किये।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा कि आधार का लक्ष्य कल्याणकारी योजनाओं को समाज के वंचित तबके तक पहुंचाना है और वह ना सिर्फ व्यक्तिगत बल्कि समुदाय के दृष्टिकोण से भी लोगों के सम्मान का ख्याल रखती है। शीर्ष अदालत ने कहा कि आधार जनहित में बड़ा काम कर रहा है और आधार का मतलब है अनोखा और सर्वश्रेष्ठ होने के मुकाबले अनोखा होना बेहतर है। न्यायमूर्ति सीकरी ने कहा किसी भी बच्चे को आधार नंबर नहीं होने के कारण लाभ, सुविधाओं से वंचित नहीं किया जा सकता है।
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