नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने विशेष सीबीआई जज बीएच लोया की मौत की एसआईटी जांच से साफ इनकार कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, एएम खानविलकर और डिवाइ चंद्रछुड़ की तीन जजों की पीठ ने यह फैसला आज गुरुवार को दिया है।

पीठ ने कहा कि गेस्ट हाउस में लोया के साथ ठहरे चार अन्य जजों के बयान पर शक करना उचित नहीं है। ये सब जज अपने एक साथी की बेटी के विवाह में शामिल होने नागपुर गए थे। पीठ ने कहा इस मामले में पीआईएल याचिका के क्षेत्राधिकार का दुरुपयोग किया है। ये याचिकाएं कॉंग्रेस नेता तहसीन पुनवाला, बॉम्बे लायर असोसिएशन और एक पत्रकार बीएसए लोने ने दायर की थी।
लोया बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के मामले की सुनवाई कर रहे थे। उनकी 2014 में रहस्यमय हालात में नागपुर में मौत हो गयी थी। डॉक्टरों ने इसका कारण हार्ट अटैक बताया था। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों की सुनवाई कर 16 मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सीजेआई ने यह केस पहले वरिष्ठता में 11 वें नंबर के जज अरूण मिश्रा को सौप दिया था।
इसका सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठतम जजों ने अप्रत्याशित प्रेस वार्ता कर विरोध जताया था। इसके बाद सीजेआई ने यह मामला अपने पास बुला लिया था। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों द्वारा 12 जनवरी को की गयी प्रेस वार्ता की तात्कालिक वजह लोया केस की सुनवाई के लिए चुनी गई पीठ थी।
हालांकि बाद में उस पीठ ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया था और इसके बाद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष इस मामले की सुनवाई हुई थी। कई दिनों तक चली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर कहा गया कि जज लोया की मौत की निष्पक्ष जांच जरूरी है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा था कि जज लोया मामले में जो कुछ हो रहा है वह परेशान करने वाला है।
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