मुम्बई। नोटबंदी #Demonetisation के दो साल पूरे होने पर जहां विपक्षी दल भाजपा पर आरोप लगा रहे हैं, वहीं भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने भी सख्त लफ्जों में नोटबंदी के फैसले की निंदा की है। शिवसेना ने कहा कि जनता प्रधानमंत्री को दो साल पहले नोटबंदी की घोषणा करने के लिए सजा देने का इंतजार कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर 2016 को 1000 और 500 रुपये के नोट को तत्काल प्रभाव से चलन से बाहर कर दिया था। बीजेपी नीत केंद्र और राज्य सरकार में सहयोगी शिवसेना ने दावा किया कि नोटबंदी बिल्कुल असफलरही क्योंकि इससे कोई भी लक्ष्य पूरा नहीं हुआ। शिवसेना की प्रवक्ता मनीषा कायंदे ने कहा कि केंद्रीयद्ध वित्त मंत्री कहते हैं कि ज्यादा लोगों को कर के दायरे में लाया गया, लेकिन लाखों लोगों की इस वजह से नौकरियां चली गई वह इसके पीछे का तर्क देने में विफल रहते हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसा कहा गया था कि आतंकवाद का खात्मा होगा और नकली नोट की समस्या खत्म हो जाएगी, लेकिन यह भी नहीं हो सका। प्रवक्ता ने कहा कि दो साल के बाद स्थिति इतनी खराब है कि लोग प्रधानमंत्री को सजा देने का इंतजार कर रहे हैं। कायंदे ने दावा किया कि केंद्रीय वित्त मंत्री और आरबीआई गवर्नर के बीच अनबन से देश में आर्थिक स्थिति और बदहाल होगी तथा विदेशी निवेशक यहां निवेश करने के प्रति चिंतित होंगे।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि नोटबंदी से 15 लाख लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा और अर्थव्यवस्था को जीडीपी के एक प्रतिशत के बराबर चपत लगी। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर हमला बोला और आरोप लगाया कि मोदी सरकार का यह कदम खुद से पैदा की गई त्रासदी और आत्मघाती हमला था जिससे प्रधानमंत्री के सूटबूट वाले मित्रों ने अपने कालेधन को सफेद करने का काम किया।
गांधी ने एक बयान में कहा कि भारत के इतिहास में आठ नवंबर की तारीख को हमेशा कलंक के तौर पर देखा जाएगा। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि अर्थव्यवस्था की तबाही वाले इस कदम का असर अब स्पष्ट हो चुका है तथा इसके घाव गहरे होते जा रहे है। नोटबंदी के पीछे तर्क पर सवाल उठाते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे भारतीय अर्थव्यवस्था पर स्वयं से कुरेदा गया गहरा जख्म करार दिया।
पश्ख्मि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि कुछ मु_ी भर लोगों को लाभ पहुंचाने के लिये नोटबंदी का कदम उठाया गया है। इससे आम लोग प्रभावित हुए। वहीं दसूरी तरफ आलोचनाओं का जवाब देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इससे अर्थव्यवस्था मजबूत हुई और सरकार के पास गरीबों के हित में काम करने और बुनियादी ढांचे का विकास करने के लिए अधिक संसाधन उपलब्ध हुए।
बाद में उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि उन लोगों का क्या हुआ जो निराशा फैला रहे थे जो कह रहे थे कि भारत का जीडीपी कम से कम 2 प्रतिशत नीचे आएगा। लगातार पाचवें साल भारत दुनिया में तीव्र आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने वाला देश बना हुआ है, यह जारी रहेगा।
इससे साफ है कि निराशा का रुख रखने वाले पूरी तरह गलत साबित हुए हैं। उन्होंने कहा कि नोटबंदी से कर प्रणाली, डिजटलीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था को संगठित रूप देने में मदद मिली। निश्चित रूप से अभी हमें लंबा रास्ता तय करना है और मुझे भरोसा है कि आने वाले वर्ष में इन कदमों से होने वाले लाभ से अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।