लखनऊ: कार्तिक की पूर्णिमा पर आज प्रदेश में श्रद्धालुओं ने सुबह से ही नदियों के घाट का रुख किया। कार्तिक पूर्णिमा आज पूरे देश में मनाई जा रही है। इस पर्व पर नदियों में स्नान के साथ पूजन अर्चन की परम्परा है। प्रदेश में इलाहाबाद, वाराणसी, कानपुर, गोरखपुर , लखनऊ के साथ ही अन्य शहरों में से श्रद्धालुओं ने नदियों में डुबकी लगाई।
वाराणसी में कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा नदी के घाट पर श्रद्धालु बड़ी संख्या में उमड़ पड़े। यहां के दशाश्वमेध घाट पर सर्वाधिक भीड़ थी। यहां पर गंगा नदी में स्नान करने वालों का रेला लग गया। गोदौलिया क्षेत्र में श्रद्धालुओं की भीड़ एकत्र हो गई थी। संगमनगरी इलाहाबाद में भी संगम के घाट पर भारी भीड़ थी।
इसके साथ ही दारागंज में यमुना के तट पर तथा मनकामेश्वर मंदिर के पास यमुना नदी में स्नान करने बड़ी संख्या में लोग उमड़ पड़े हैं। कानपुर में भी गंगा नदी के हर घाट पर भारी भीड़ जमा है। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर शनिवार को लोगों ने स्नान कर दान.पुण्य किया। गोरखपुर व बस्ती मंडल में महिलाए पुरुष और बच्चे स्नान करने नदियों के किनारे पर एकत्र हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं भक्ति गीत गाते हुए पहुंची और स्नान किया।
आज यहां नदियों के किनारे गोदान, अन्नदान और सत्य नारायण व्रत कथा का भी कार्यक्रम जारी है। रायबरेली के डलमऊ में कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई। डलमऊ गंगा घाट पर हजारों की संख्या में लोग गंगा स्नान कर रहे हैं। हर हर गंगेए जय हो गंगे मैया की। आधी रात गुजरते ही गंगा तट पर पहुंचे श्रद्धालुओं ने इन्हीं उद्घोष के साथ आस्था की डुबकी गंगा नदी लगानी शुरू कर दी।
कार्तिक पूर्णिमा के मुख्य स्नान के लिए लाखों श्रद्धालु दूर दूर से ऐतिहासिक तिगरी गंगा मेला पहुंचे। लाखों की तादात में श्रद्धालु अपने अपने डेरो में ठहरे थे तो इतने ही विभिन्न संस्थाओं के शिविरों में धार्मिकए सामाजिक संगठनों के नेताओं और राजनैतिक दलों के नेताओं के भाषण सुनने में मशगूल थे काफी बड़ी संख्या में श्रद्धालु टेंट व स्थान के अभाव में कोहरे में मेला स्थल पर सड़कों के किनारे खुले आसमान में टहल कर सिर्फ सुबह होने का इंतजार कर रहे थे।
इसके बाद जैसे ही दिन निकला घाटों पर स्नान कर पूण्य लाभ कमाने को भीड़ बढ़ती जा रही थी। यह सिलसिला शाम तक चलने की उम्मीद है। सुरक्षा की दृष्टि से थाना पुलिसए पीएसी के गोताखोर लगे थे। इधर घाटों पर ढोल नगाड़ों के साथ नवविवाहित जोड़े भी घाटो पर माँ गंगे की पूजा करते नजर आ रहे थे। बच्चों का मुंडन भी चल रहा था।
क्या है कार्तिक पुर्णिमा का महत्व
शास्त्रों के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन शाम भगवान श्रीहरि मत्स्यावतार के रूप में प्रकट हुए थे। भगवान विष्णु के इस अवतार की तिथि होने की वजह से आज किए गए दानए जप का पुण्य दस यज्ञों से प्राप्त होने वाले पुण्य के बराबर माना जाता है। पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में दीपदान करने की भी परंपरा हैं। देश की सभी प्रमुख नदियों में श्रद्धालु दीपदान करते हैं।