नवरात्रि का समय चल रहा है और हर तरफ माता के भजन और उनकी आराधना हो रही है। नौ दिनों तक अलग-अलग देवियों की पूजा की जाएगी और आशीर्वाद लिया जाएगा। इस दौरान पुष्प और रंगों का भी काफी महत्व होता है। लेकिन माता को भोग भी नौ दिनों में नौ प्रकार का चढ़ाने से माता खुश होती हैं। अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करते समय उनके मंत्रों और भोग का विशेष ध्यान रखना चाहिए। 15 अक्तूबर तक को नवमी मनाई जाएगी और उसके बाद दशहरा है। इस बार डोली पर विराज कर आ रही हैं और गमन भी उनका डोली पर ही होगा। आइए जानते हैं।
मां शैलपुत्री : नवरात्रि का पहला दिन माता शैलपुत्री का होता है। मां शैलपुत्री दुर्गा का पहला स्वरूप मानी जाती हैं। वह पर्वतों के राजा हिमालय की पुत्री कही जाती हैं। उनको गाय के घी का भोग लगाना जरूरी है। मान्यता है कि गाय के घी का भोग माता को लगाने से सारे रोग दूर होता हैं और माता का आशीर्वाद मिलता है।
मां ब्रह्मचारिणी : नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी का होता है। मां चार विधाओं की जानने वाली हैं। मान्यता है कि मां को इस दिन शक्कर का भोग लगाना चाहिए। यह काफी शुभ माना जाता है। शक्कर को मिलाकर पंचामृत का भी भोग लगाते हैं। कहा जाता है कि ऐसा करने से सुख और समृद्धि आती है।
मां चंद्रघंटा : मां चंद्रघंटा की आराधना तीसरे दिन की जाती है। माता को दूध से बनी चीजें भोग में लगाई जाती हैं। इससे माता आशीष देती हैं।
मां कुष्मांडा : माता कुष्मांडा देवी की पूजा नवरात्र के चौथे दिन की जाती है। इस दिन माता को मालपुआ चढ़ाएं और लोगों में बांटे। गरीबों को दान भी करना चाहिए। इससे भी काफी अच्छा होता है।
स्कंदमाता : माता स्कंदमाता की पूजा पांचवें दिन की जाती है। माता को केला काफी अच्छा लगता है। पांचवें दिन माता को केले का भोग लगाया जाता है। माता तरक्की और कृपा बनाए रखती हैं।
कात्यायानी माता : मां कात्यायानी को शहद का भोग लगाते हैं। महर्षि कात्यायन के पुत्री के रूप में जन्म लेने के बाद उनको कात्यायानी कहा गया। माता मानसिक और सौंदर्य का आशीष देते हैं।
कालरात्रि : मातात कालरात्रि की पूजा सातवें दिन की जाती है। उनको गुड़ का भोग लगाते हैं और प्रसाद बांटते हैं। इससे जीवन में कोई परेशानी नही आती हैं।
माता महागौरी : माता महागौरी की पूजा आंठवें दिन की जाती है। इन्होंने तपस्या से गौर वर्ण मिला था. माता को नारियल का भोग लगाया जाता है। माता मनोकामना पूर्ण करने वाली है।
सिद्धिदात्रि : माता सिद्धिदात्रि की पूजा नौवें दिन की जाती है। माता को चने और हलवे का भोग लगाया जाता है और उसी दिन माता की पूजा के स्वरूप में कन्याओं को चने और हलवे का भोग लगाया जाता है। इससे घर में सुख शांति आती है। इसी तरह माता के मंंत्रों का उच्चारण भी किया जाता है।