बता दें कि इस साल होने वाले टोक्यो ओलंपिक 23 जुलाई से शुरू हो रहे हैं। ऐसे में कई सारे ओलंपिक प्रतिभागियों की कहानियां चर्चा का विषय बनी हुई हैं। इस स्थिति में भारतीय शूटर दिव्यांश सिंह पवार का नाम सामने आ रहा है जिनसे पूरे देश को ओलंपिक पदक की उम्मीद है। खास बात तो ये है कि दिव्यांश सिंह पवार भले ही भारत की ओर से इस बार ओलंंपिक में प्रतिनिधित्व करते नजर आएंगे पर पहले वे पबजी खेल के जबरे वाले फैन रह चुके हैं। वे दिन में 6 घंटे से ज्यादा पबजी खेला करते थे। तो चलिए जानते हैं उनके बारे में कि वे पबजी छोड़ कैसे बनें शूटर।
पबजी की लत छोड़ ऐसे बने शूटर
बता दें की शूटर दिव्यांश का जन्म 2 अक्टूबर को साल 1998 में हुआ था। वे राजस्थान के जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल में जन्मे थे। उनके पिता एक योग्य डाॅक्टर हैं व मां पेशे से एक बेहतरीन नर्स हैं। दिव्यांश ने 16 साल की उम्र से शूटिंग शुरू कर दी थी। खास बात ये थी कि उन्होंने साल 2014 से शूटिंग की प्रैक्टिस करना शुरू किया था और इसके बाद उन्होंने अपनी बड़ी बहन मानवी के हथियारों के इस्तेमाल से शूटिंग करना शुरू किया था। इस दौरान दिव्यांश को पबजी की भी लत लग गई थी। उनके पिता व परिवार के बाकी के लोग उनकी इस लत से काफी परेशान हो गए थे। बाद में उन्होंने दिल्ली के डाॅ कर्णी सिंह शूटिंग रेंज में दाखिला लिया। वहां पर वे रोजाना प्रैक्टिस करने जाया करते थे। वहां पर कोच दीपक कुमार दुबे ने उन्हें प्रशिक्षित किया।
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इस बार पुरुषों से अधिक महिला शूटर होंगी ओलंपिक में
बता दें कि ओलंपिक के खेल में ऐसा पहली बार हो रहा है कि निशानेबाजी में पुरुष प्रतिभागियों की संख्या महिला प्रतिभागियों से अधिककम है। महिला प्रतिभागियों की संख्या इस ओलंपिक में 239 है। वहीं निशानेबाजी में पुरुष प्रतिभागियों की संख्या 208 है। बता दें कि ओलंपिक में हर बार पुरुष निशानेबाजों की संख्या अधिक रहती है। वहीं टोक्यो में करीब 100 देश निशानेबाजी के इवेंट मेंहिस्सा ले रहे हैं जिनमें से 356 निशानेबाज अपनी दावेदारी पेश करेंगे । इसमें महिलाओं की 10 मीटर एयर रायफल और 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा भी शामिल होगी।
ऋषभ वर्मा