कोरोनाकाल के बाद अचानक से सारे कार्यालय खुले तो उनके ऊपर बोझ बढ़ गया है। कर्मचारी कम हैं और काम ज्यादा। ऐसे में उनको निपटाना आसान नहीं है। ऐसी ही मुसीबत आरटीओ कार्यालयों पर भी आई हुई है। यहां लोगों ने एकदम से ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन कर दिया है। ये इतने अधिक हैं कि सभी को एक साथ बुलाना संभव नहीं। और अगर इनका टेस्ट लेकर लाइसेंस दिया जाएगा तो काफी समय लगेगा। यह देखते हुए अब आरटीओ के चक्कर लोगों को न लगाना पड़े ऐसी व्यवस्था की गई है। नए नियम के मुताबिक लाइसेंस पाने की प्रक्रिया में थोड़ा बदलाव किया गया है जिससे लाखों लोगों को फायदा होगा। यह दिक्कत पूरे देश के आरटीओ में थी। नए नियम अगले महीने एक जुलाईसे लागू होंगे।
प्रमाण पत्र लाओ लाइसेंस ले जाओ
सड़क और परिवहन मंत्रालय की ओर से जारी किए गए नए नियमों की बात करें तो अब डीएल के लिए आरटीओ आफिस आने की जरूरत नहीं। बल्कि अगर आपने किसी भी सरकारी मान्यता प्राप्त ड्राइविंग टेÑनिंग सेंटर से वाहन चलाने की परीक्षा पास की है तो आप उसका प्रमाण पत्र दिखा सकते हैं। नए नियम के मुताबिक लाइसेंस के लिए आवेदन करते समय आपको आरटीओ में डीएल टेस्ट नहीं देना पड़ेगा। अगर ऐसा प्रमाण आपके पास हुआ तो आप उसे आरटीओ के सामने प्रस्तुत कर सकते हैं। हां, आपको जो लाइसेंस जारी होगा वह उसी प्रमाणपत्र के आधार पर ही जारी किया जाएगा। इसका कोई भी प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
एक जुलाई से नियम लागू
जानकारी के मुताबिक, डीएल के लिए नए नियम एक जुलाई से लागू हो जाएंगे। यह पूरे देश में एक साथ लागू होंगे। यह उन निजी ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर को ही काम करने की अनुमति प्रदान करेगा जो पहले से राज्य ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी से या फिर केंद्र सरकार की तरफ से मान्यता प्राप्त हो। ये मान्यता प्राप्त सेंटर भी सिर्फ पांच साल के लिए ही मान्य होंगे। उसके बाद उन्हें सरकार से फिर अपना नवीनीकरण कराना होगा। किसी भी निजी सेंटर से लाया गया प्रमाणपत्र मान्य नहीं होगा। उनका मान्यता प्राप्त होना जरूरी है। उन्हें नियम के मुताबिक काम करना होगा। सरकार के इस कदम के बाद निजी वाहन चलाना सिखाने वालों की लाइन लग सकती है।
आसान नहीं होगा ट्रेनिंग सेंटर चलाना
ट्रेनिंग सेंटरों को लेकर सड़क और परिवहन मंत्रालय की ओर से कुछ दिशानिर्देशा तय किए हैं। जिसमें काफी चीजें शाामिल हैं। इसके तहत अधिकृत एजंसी के पास दोय तिपहिया और हल्के मोटर वाहनों की टेÑेनिंग देने के लिए एक एकड़ जमीन होनी चाहिए। मध्यम और भारी यात्री माल वाहनों के लिए दो एकड़ जमीन होनी चाहिए। टेÑनिंग देने वाले के पास कम से कम 12वीं पास होना जरूरी है और पांच साल का ड्राइविंग अनुभव होना चाहिए। उसे ट्रैफिक के नियम पता होना चाहिए। मंत्रालय ने एक शिक्षण पाठ्यक्रम भी तय किया है। हल्के मोटर वाहन चलाने के लिए पाठ्यक्रम की अवधि 4 हफ्ते होगी जो 29 घंटे चलेगी। सेंटरों के पाठ्यक्रम को दो हिस्सों में थ्योरी और प्रैक्टिकल में बांटा जाएगा। लोगों को ट्रेनिंग दो तो कम से कम उन्हें बुनियादी सड़कों और ग्रामीण सड़कों, हाइवे और हर जगह गाड़ी चलाने का अनुभव हो और उसे उसे सीखने के लिए 21 घंटे खर्च करने होंगे। साथ ही ट्रैफिक से जुड़े शिष्टाचार को भी सीखना होगा। साथ ही दुर्घटनाओं के कारण और प्राथमिक चिकित्सा को भी समझना होगा।
GB Singh