नई दिल्ली, खाने के तेल की कीमतें फिर उछल सकती हैं। क्योंकि रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते विवाद से न सिर्फ कच्चे तेल की आपूर्ति खतरे में आ गई है बल्कि यूक्रेन से सूरजमुखी तेल की खेप लेकर भारत आने वाले मालवाहक जहाज भी देर से यहां पहुंचेंगे। खाद्य तेल उत्पादक कंपनियों ने यूक्रेन संकट पर गहरी चिंता व्यक्त की है और उनका मानना है कि रूस और यूक्रेन के बीच अगर लड़ाई छिड़ती है तो यूक्रेन से आने वाले मालवाहक पोतों को रूस रोक सकता है। उन्होंने साथ ही इस बात पर भी चिंता जताई है कि अगर रूस पर प्रतिबंध लगते हैं तो इससे भारत को दोगुना नुकसान होगा क्योंकि भारत यूक्रेन के अलावा रूस से भी सूरजमुखी तेल का आयात करता है।
उनके मुताबिक यूक्रेन संकट से सूरजमुखी तेल की खुदरा कीमतों पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि तब अर्जेटीना और रूस से तेल खरीदा जा सकता है। उन्होंने हालांकि उम्मीद जताई कि यूक्रेन संकट अधिक नहीं गहराएगा और आने वाले समय में इसका हल निकल जायेगा। इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुधाकर देसाई ने बताया कि भारत हर माह करीब 2 लाख टन सूरजमुखी तेल का आयात करता है और कभी-कभी यह आंकड़ा तीन लाख टन तक भी पहुंच जाता है। भारत अपनी जरूरत का करीब 60 प्रतिशत खाद्य तेल आयात करता है और वैश्विक पटल पर किसी भी हलचल का प्रभाव इस पर पड़ेगा।
यूक्रेन के विकल्प के रूप में रूस और अर्जेटीना
देसाई के मुताबिक भारतीय आयातक यूक्रेन के विकल्प के रूप में रूस और अर्जेटीना को देख सकते हैं। यूक्रेन की तरह रूस भी सूरजमुखी का बड़ा उत्पादक है। खाद्य तेल उद्योग क्षेत्र की शोध सलाह कंपनी सनविन ग्रुप के सीईओ संदीप बजोड़िया ने कहा कि भारत में आयातित सूरजमुखी तेल का 70 फीसदी हिस्सा यूक्रेन, 20 प्रतिशत रूस और 10 प्रतिशत अर्जेटीना का है।
पेराई के बाद निकलता है 42 फीसद तेल
उन्होंने कहा कि यूक्रेन करीब 170 लाख टन, रूस करीब 155 लाख टन और अर्जेटीना करीब 35 लाख टन सूरजुमखी के बीज का उत्पादन करता है। पेराई के दौरान इन बीजों के वजन का करीब 42 प्रतिशत तेल निकलता है। इमामी एग्रोटेक लिमिटेड के सीईओ देसाई का कहना है कि यूक्रेन और रूस से आयातित तेल की कीमत कमोबेश एकसमान हैं। इनकी वैश्विक कीमत 1,500 से 1,525 डॉलर प्रति टन के करीब है। उन्होंने कहा कि पिछले 20 दिन से यूक्रेन से भारत आने वाली सूरजमुखी तेल की खेप में देर हो रही है और मालवाहक पोतों की कतार खड़ी हो गयी है।
दो से तीन हफ्ते में पड़ने लगेगा असर
देसाई ने कहा कि अगर यूक्रेन संकट दो से तीन सप्ताह और जारी रहता है तो इसका दबाव भारतीय बाजार पर भी पड़ेगा क्योंकि भारत में तेल भंडार को भरा नहीं जा सकेगा। हमें उम्मीद है कि फरवरी से मार्च के बीच यूक्रेन से डेढ़ से दो लाख टन सूरजमुखी तेल की आवक होगी। बजोरिया का कहना है कि फरवरी में यूक्रेन से एक भी जहाज सूरजमुखी तेल को लेकर रवाना नहीं हो पाया है। सूरजमुखी तेल का देश का सबसे बड़ा बाजार दक्षिण भारत है।
क्या-क्या भेजता है भारत
यूक्रेन स्थित भारतीय दूतावास के मुताबिक यूक्रेन के साथ भारत का द्विपक्षीय कारोबार 2019-20 के दौरान 2.52 अरब डॉलर का था, जिसमें 463.81 अरब डॉलर का निर्यात और 2,060.79 अरब डॉलर का आयात शामिल है। भारत से यूक्रेन को दवायें, रिएक्टर/ब्वॉयलर मशीन, मशीनी सामान, तिलहन, फल, कॉफी, चाय, मसाले, लौह अयस्क, स्टील आदि निर्यात किये जाते हैं जबकि भारत वहां से मुख्य रूप से सूरजमुखी तेल, अकार्बनिक रसायन, आयरन, स्टील, प्लास्टिक, रसायन आदि का आयात करता है। एशिया प्रशांत में भारत यूक्रेन का सबसे बड़ा आयातक देश है जबकि विश्व स्तर पर इसका पांचवा स्थान है।