नवरात्रि के व्रत दो अप्रैल से शुरू होने वाले हैं। सभी लोग माता दुर्गा की भक्ति में लीन हो जाएंगे। वातावरण भी भक्तिमय हो जाएगा। इस दौरान माता की पूजा के साथ ही दुर्गा सप्तशती के पाठ का भी काफी महत्व होता है। माता की पूजा करने वालों को और व्रत करने वालों को यह पाठ जरूर करना चाहिए। इससे जीवन में जहां कष्ट कम होते हैं वहीं यह कई तरह से फायदेमंद भी होता है। लेकिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करना भी नौकरीपेशा और समय न निकाल पाने वालों के लिए काफी दिक्कत भरा हो जाता है। लेकिन हम आपको बताएंगे कि इस नवरात्रि इसे कैसे संभाले। आइए जानते हैं।
संपूर्ण पाठ होता है जरूरी
नवरात्रि 11 अप्रैल तक चलेगा। इस बार यह पूरे नौ दिनों की है और माता घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं। ऐसे में नवरात्रि की पूजा पूरे विधि विधान के साथ करना आवश्यक है। दुर्गा सप्तशती का पाठ नवरात्रि में बेहद जरूरी है और यह काफी अच्छा माना गया है। वैसे तो संपूर्ण पाठ करना काफी लंबा होता है और यह तीन घंटे में पूरा होता है। लेकिन कहते हैं कि इसको काफी कम समय में करने का उपाय भगवान शिव की ओर से बताया गया था। दुर्गा सप्तशती में 13 अध्याय हैं और तीन चरित्र में बंटे हैं। हर में माता की स्तुति है। पहले में मधु-कैटभ वध, मध्यम में महिषासुर वध और उत्तर चरित्र में शुंभ-निशुंभ वध है।
पाठ करने की विधि
दुर्गा सप्तशती का संपूर्ण पाठ आवश्यक है लेकिन भगवान भोलेनाथ ने सही उपाय पाठ करने का बताया है। कहा जाता है कि कम समय में अगर पाठ करना है तो पहले कवच, कीलक और अर्गला स्त्रोत का पाठ कर लें। तब जाकर कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें। अगर ऐसे पाठ करते हैं तो संपूर्ण पाठ जितना ही फल मिलता है। कहते हैं कि भगवान शिव की ओर से माता पार्वती को यह उपाय बताया था, ताकि माता को पाठ करने में समस्या न हो। शिव जी ने माता से यह भी कहा कि दुर्गा सप्तशती का संपूर्ण पाठ कोई करता है तो उसके कष्ट दूर होते हैं। नवरात्रि में माता दुर्गा की नौ दिनों तक पूजा करने के साथ ही यह दुर्गा सप्तशती का पाठ भी लोगों को करना चाहिए।
GB Singh