होली का त्योहार आ रहा है। बस कुछ ही दिन बचे हैं। वैसे मथुरा और वृंदावन में तो होली मनाई भी जाने लगी है। वहां आठ दिन का उत्सव काफी जोर और शोर से होता है। वैसे आपको यहां होली की खुमारी एक माह से पहले से ही लोगों पर चढ़ती दिख जाएगी। होलाष्टक चल रहा है तो ऐसे में शुभ कार्यों पर ब्रेक लगा हुआ है। लेकिन यह होलिका दहन के साथ खत्म हो जाएगा। हिंदू धर्म में होलिका दहन को लेकर कुछ मान्यताएं हैं। इनका पालन कई जगह किया जाता है। आइए जानते हैं इसके बारे में।
होलिका दहन से जुड़ी मान्यता
होलिका दहन पूर्णिमा के दिन किया जाएगा। इसको लेकर शुभ मुहूर्त का समय भी बता दिया गया है। यह शाम को सबसे उत्तम माना गया है। इसके बाद रंगोत्सव यानी रंग को अगले दिन चैत्र माह में खेला जाएगा। कहा जाता है कि होलिका दहन में कुछ चीजों की मनाही है। उसके जानना जरूरी है। यह 17 मार्च को मानाई जाएगी। होलिका दहन के दिन होली की पूजा की जाती है उसको सजाया जाता है और नियम के अनुसार उसमें आग लगाई जाती है। उसके बाद लोग उल्लास के साथ अगले दिन रंग खेलते हैं। यह त्योहार विदेशों में भी खूब लोकप्रिय है।
क्या है मनाही
इस बार होली 17 मार्च को रात में 9 बजकर 6 मिनट पर जलाना शुरू कर सकते हैं और यह 10 बजकर 16 मिनट तक के मुहूर्त में जला सकते हैं। सवा घंटे का समय आपको होलिका दहन के लिए मिलेगा। इसके बाद भद्रा शुरू हो जाएगा और उसमें होली नहीं जलाई जाती है। कहते हैं कि होलिका दहन की पूजा के समय और उनको आग लगाते समय कुछ लोगों को नहीं देखना चाहिए। इसमें खासकर जिनकी अभी-अभी शादी हुई है वह इसमें आग लगाते हुए न देंखें। कहा जाता है कि नवविवाहित जीवन में खुशियों का प्रतीक होना चाहिए जबकि होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत माना जाता है लेकिन यह एक शरीर का ही प्रतीक होता है। कही-कहीं बच्चों को भी होलिका दहन देखने की मनाही है।
GB Singh