ईद उल फितर का त्योहार इस्लामिक धर्म के लोगों के लिए विशेष त्योहार के रूप में माना जाता है। ईद उल फितर का त्योहार भारत में 14 मई को मनाया जाएगा। इस दिन लोग एक दूसरे के गले मिलकर सारे गिले शिकवे दूर करते हैं। यही नहीं 1 महीने चले रमजान के महीने में रोजेदारों द्वारा अल्लाह से सभी गुनाहों की माफी मांगी जाती है। इसके साथ ही अल्लाह से इबादत करते हैं और इस पाक महीने में रोजेदारों की शक्ति ऑटोमेटेकली बढ़ जाती है।
रोजेदार मुस्लिम अमन चैन और सब की बेहतरी के लिए दुआ मांगते हैं इसके अतिरिक्त ईद के दिन गरीबों को जकात देते हैं।
बनाते हैं मिठाई
ईद के दिन सेवई इनका खास पकवान होता है। सेवई से यह दूसरे के मुंह को मीठा कराते हैं और आपस के बैर को भूल जाते हैं।
ईद के दिन जरूरी होता है फितरा देना
ईद को पवित्र महीना कहा जाता है। इस दिन इस्लामिक समुदाय के लोग गरीबों को और मजबूर लोगों को फितरा देते हैं। फितरा देने से जो लोग गरीब हैं जो ईद का पर्व मनाने में सक्षम नहीं है उन मजबूर लोगों को जकात देकर, फितरा देकर उनकी खुशी में शरीक होते हैं।
ईद के दिन सबसे पहले पढ़ी जाती है नमाज
ईद के दिन सबसे पहले सुबह उठकर नहाने धोने के बाद मस्जिद में या घर के किसी पवित्र स्थान पर नमाज पढ़ते हैं और अल्लाह को याद करते हैं। अल्लाह को शुक्रिया कहते हैं कि उन्होंने आप पर रहम की और मेहर की।
दान देना हर मुस्लिम का फर्ज
हिंदू धर्म में ही नहीं बल्कि मुस्लिम धर्म में भी दान दक्षिणा देना पूर्वजों के जमाने से चलता चला रहा है। दान देना ईद के दिन हर मुस्लिम का फर्ज होता है। इस दान को जकात उल फितर कहते हैं। यह दान कोई भी खाद्य सामग्री हो सकती है जिसे आप किलो के हिसाब से दे सकते हैं। खाद्य सामग्री में आप आटा दाल चावल और भी कई सारी खाने की चीजों को आप दान कर सकते हैं।
मोहम्मद पैगंबर साहब को करते हैं याद
पहली बार ईद उल फितर का त्योहार पैगंबर मोहम्मद साहब ने सन 624 ईसवी में मनाया था। ईद का त्यौहार मोहम्मद पैगंबर साहब ने बद्र की लड़ाई में जीत हासिल कर मनाया था। यही कारण था कि उनकी जीत की खुशी के चलते सभी का मुंह मीठा कराया गया था और सेवई बनाई गई थी। तभी से सेवई बनाने का प्रचलन चला रहा है। इस दिन मोहम्मद पैगंबर साहब को याद किया जाता है।