मुंबई: वैकल्पिक उर्जा हमेशा से शोधा और चर्चा का विषय रही है। अब बॉम्बे के एनर्जी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर प्रकाश घोष और उनकी टीम ने प्रोफेसर प्रकाश घोष और उनकी टीम ने एक ऐसा माइक्रोबियल फ्यूल सेल बनाया है जिससे कचरे से निकलने वाले खतरनाक लिक्विड से बिजली बनाई जा सकती है।
अक्सर कचरा जमा किए जाने वाले डंपिंग ग्राउंड्स में एक काले रंग का लिक्विड रिसता हुआ दिखाई देता है जिसे लीचेट कहा जाता है। वैसे तो ये लीचेट जमीन और जमीन के नीचे के पानी के लिए किसी जहर से कम नहीं है लेकिन खतरनाक लिक्विड होने के साथ ही लीचेट में कई सारे जैविक और अकार्बनिक तत्व भी होते हैं जो ऊर्जा उत्पादन में सहायक होते हैं। इसके अलावा इस तरह के लीचेट में कई बैक्टीरिया भी होते हैं। बस माइक्रोबियल फ्यूल सेल सूक्ष्मजीवों द्वारा आर्गेनिक मैटेरियल्स के ऑक्सीडेशन के सिद्धांत पर काम करता है।
एक पाइप के जरिये नाले के पानी या फिर लीचेट को इस माइक्रोबियल फ्यूल सेल में डाला जाता है। इसके बाद इस लीचेट में मौजूद बैक्टेरिया आर्गेनिक तत्वों को अपने आप खाने लगता है। इस दौरान नेगेटिव और पॉजिटिव पार्टिकल्स पैदा होते है जो इलेक्ट्रोड पर इक_ा होने लगते है। ये दोनों पार्टिकल्स अपने विपरीत आवेश वाले अंत की और आगे बढ़ते है और बस इसी से ऊर्जा यानी इलेक्ट्रिसिटी बनती है।
माइक्रोबियल फ्यूल सेल के निर्माण में प्लैटिनम लिप्त कार्बन चूर्ण के साथ लचीले कार्बन कागज का उपयोग किया गया और पॉजिटिव टर्मिनल के लिए एक्रेलिक और ग्रेफाइट का इस्तेमाल किया गया है। एक्सपेरिमेंट के लिए तीन अलग अलग MFC को लिया गया था जिनमे 17 दिन का एक साइकिल रखा गया था. जिसमें अधिकतम बिजली 1.23 V, 1.2 V और 1.29 V बनी थी, ये दुनिया में पहली बार Microbial Fuel Cell (एमएफसी) से बनी उच्चतम बिजली है। इसके बाद प्रोफेसर प्रकाश घोष और उनकी टीम ने 18 Microbial Fuel Cell (एमएफसी) का बड़ा सिस्टम बनाया जिसमें कुल 12 V बिजली बनी जिससे एक LED लाइट को भी जलाया गया था।
प्रोफेसर प्रकाश घोष के मुताबिक ” ये किसी की सोच से भी परे की बात है की उनका फेका हुआ कचरा ऊर्जा का उत्पादन कर सकता है, ये भविष्य की ऊर्जा है, नतीजे बेहद चौंकाने वाले और उत्साह भरने वाले हैं, अब हमें इनके व्यवसायिक उत्पादन और उसके आर्थिक पहलू पर भी काम करने की जरुरत है जिससे सस्ती ऊर्जा भारत के लोगो को दी जा सके। ” ये अपने आप में दुनिया के लिए भारतीय वैज्ञानिको की तरफ से नायब तोहफा है और विश्व विज्ञान में भारतीय लोगों की सबसे महत्वपूर्ण खोज है। उस देश भारत में जहा आज भी रूरल इलाकों में लोगो को साफ पानी और 24 घंटे सस्ती बिजली मिलना सिर्फ एक सपना होता है. ऐसे में सस्ती मिलना एक सपने के सच होने जैसा है।