इशांत ने इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में अच्छा प्रदर्शन किया। उन्होंने इस मैच में सात विकेट लिए जिसमें दूसरी पारी में लिये पांच विकेट भी शामिल हैं। मैकग्राथ को खुशी है कि इस तेज गेंदबाज ने धीरे धीरे परिस्थितियों से सामंजस्य बिठा दिया है।
मैकग्राथ ने पीटीआई से कहा, ‘जब इशांत ने शुरुआत की थी तो अपनी तेजी से क्रिकेट जगत का ध्यान अपनी तरफ खींचा था। वह अब शायद उसी तेजी से गेंदबाजी नहीं कर रहा है लेकिन अब वह अधिक अनुभवी गेंदबाज है जिसका अपनी गेंदों पर अच्छा नियंत्रण है। एजबेस्टन टेस्ट में दिखा कि इशांत ने परिस्थितियों से बेहतर सामंजस्य बिठाना शुरू कर दिया है।’
मैकग्राथ का हालांकि मानना है कि उप महाद्वीप के विकेटों पर खेलने के कारण संभवत: इशांत का रिकार्ड प्रभावशाली नहीं है। उन्होंने 83 टेस्ट मैचों में केवल 244 विकेट लिए हैं।
ऑस्ट्रेलिया की तरफ से 124 टेस्ट मैचों में 563 विकेट लेने वाले मैकग्रा ने कहा, ‘मुझे लगता है कि भारत में अधिकतर पिचों पर खेलना आसान नहीं है। संभवत: उन्हें अधिक स्पेल करने का मौका नहीं मिला। उन्हें एक अग्रणी गेंदबाज के बजाय कामगार की तरह अधिक उपयोग किया गया। मुझे लगता है कि उन्हें यह समझने की जरूरत है कि वह किस भूमिका में फिट बैठते हैं।’
मैकग्राथ का इसके साथ ही मानना है कि इशांत को नियमित तौर पर सीम के सहारे गेंद को पिच कराना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘आपको सीम के सहारे गेंद को पिच कराना होगा और पिच से मिलने वाले थोड़े मूवमेंट से मदद मिलेगी। मेरा मुख्य हथियार उछाल और थोड़ा सीम मूवमेंट थे। मेरे मामले में वार्न, ली और गिलेस्पी दूसरे छोर से गेंदबाजी करके दबाव बनाते थे।’
मैकग्राथ ने कहा, ‘मुझे लंबे स्पैल करना पसंद था और इससे मदद मिलती थी। अगर आप हमेशा शॉर्ट आफ लेंथ गेंदबाजी करते हो तो आप रनों पर अंकुश लगाने की कोशिश कर रहे हों जबकि आपको विकेट लेने की जरूरत होती है।’
उनका मानना है कि ससेक्स की तरफ से ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज जैसन गिलेस्पी की देखरेख में डेढ़ महीने खेलने का इशांत को फायदा मिला। मैकग्रा ने कहा, ‘अगर आप भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में एक ही लेंथ से गेंदबाजी करते हो तो आप सफल नहीं हो सकते। इंग्लैंड में गेंद स्विंग लेती है और आपको उसे थोड़ा आगे पिच कराना होगा। ऐसे में ससेक्स के लिये खेलने से उसे फायदा मिला।’
उन्होंने कहा, ‘मेरे दोस्त जैसन गिलेस्पी ने कोच के रूप में बहुत अच्छा काम किया है। मैं 2000 और 2004 में काउंटी में खेला था और इंग्लैंड की परिस्थितियों में गेंदबाजी करने के बारे में तब मैंने काफी कुछ सीखा था।’