वाराणसी. नसीमुद्दीन सिद्दीकी के बसपा से निकाले जाने के बाद मायावती ने उन पर मुसलमान नेताओं को आगे न आने देने का आरोप लगाया है। उनके इस आरोप के बाद पूर्वांचल में बड़े नेता माने जाने वाले बाहुबली मोख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी ने नसीमुद्दीन पर आरोप लगाए हैं।
उन्होंने यहां तक कहा है कि उन्हें कभी मुसलमानों ने नेता माना ही नहीं। उनके जाने से बसपा से मुसलमान टूट जाएंगे यह कहना बिल्कुल बेबुनियाद है। उन्होंने यह भी बताया कि उनके और नसीमुद्दीन सिद्दीकी के बीच किस बात को लेकर नाइत्तेफाकी यानि मतभेद थे। अफजाल अंसारी ने नसीमुद्दीन सिद्दीकी के निकाले जाने के प्रकरण के बाद सबसे पहले पत्रिका के साथ फोन पर अपनी प्रतिक्रिया साझा की। हालांकि उन्होंने इस दौरान 2009 के चुनाव के बाद बसपा से पूरे अंसारी कुनबे को निकाले जाने से संबंधित सवालों पर चुप्पी साध गए।
बहनजी ने नसीमुद्दीन को नेता बना दिया
अफजाल अंसारी ने कहा कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी की स्वीकार्यता इतनी नहीं कि वह एक चुनाव जीत सकें। एक चुनाव किसी तरह जीते उसके बाद बहनजी ने उन पर कृपा की तो वह नेता बन गए। इसके बाद वह कोई चुनाव लड़े ही नहीं। वह खुद अपनी स्थिति जानते हैं इसीलिये कभी चुनावी मैदान में नहीं उतरे, बल्कि बैकडोर से ही सदन में आए। यूपी में शराब और हज दोनों का इंतजाम खुद करते थे
अफजाल अंसारी ने कहा नसीमुद्दीन सिद्दीकी यूपी के ऐसे अकेले नेता थे जिन्हें शराब मंत्रालय अच्छा लगता था। साथ ही उन्होंने हज मंत्रालय भी अपने पास रखा था। यूपी में शराब और हज दोनों का इंतजाम खुद किया करते थे। आबकारी सबसे अधिक राजस्व वाला मंत्रालय था। वह मुसलमान थे और उन्हें आबकारी मंत्रालय जैसा विभाग नहीं लेना चाहिये था। शराब इस्लाम में हराम और मना है। मैंने समझाया भी कि इससे बदनामी हो रही है पर वह नहीं माने। उन्होंने शराब का जिम्मा संभालकर मुसलमानों के मुंह पर कालिख पोतने का काम किया।
पॉन्टी चड्ढा को नसीमुद्दीन सिद्दीकी ही लाए कभी लिकर किंग के नाम से मशहूर पॉन्टी चड्ढा को पंजाब से यूपी नसीमुद्दीन सिद्दीकी ही लाए। यह दावा अफजाल अंसारी ने किया। उन्होंने पत्रिका से बताया कि पॉन्टी चड्ढा को यूपी में लाने के बाद नई शराब नीति ले आए नसीमुद्दीन। इसके बाद पूरे यूपी में सिर्फ पॉन्टी की फैक्ट्री की शराब ही बिकने लगी। इसके बाद क्या हुआ यह सारी जनता जानती है।
इस वजह से थे अंसारी और नसीमुद्दीन के बीच मतभेद नसीमुद्दीन सिद्दीकी और अफजाल अंसारी के बीच मतभेद थे यह उन्होंने खुद भी स्वीकार किया। इसके बाद उन्होंने यह भी बताया कि आखिर इसके पीछे वजह क्या थी। अफजाल अंसारी ने दावा किया कि उन्होंने नसीमुद्दीन को शराब मंत्रालय छोड़ने की सलाह दी थी जो उन्हें अच्छी नहीं लगी थी। इस पर उन्होंने अफजाल से कहा था कि विजारत, तिजारत और शराब (मंत्रालय, व्यापार और शराब) का मसला लम्बे समय से है यह आज की बात नहीं। इसके बद वह नाराज रहने लगे।
अंसारी परिवार के बसपा ज्वाइन करने के दौरान नसीमुद्दीन के साथ जलसे में जाने से किया मना अफजाल अंसारी ने बताया कि शराब मंत्रालय वाले मामले पर सलाह देने के बाद वह नाराज रहने लगे। इसके बाद लखनऊ के एक शाहिद साहब ने मुझे उसी जलसे में बुलाना चाहा जिसमें नसीमुद्दीन भी बुलाए गए थे। मैंने मना कर दिया तो वहां मुझे पता चला कि वह मुझसे नाराज हैं। बताया कि उन्होंने नसीमुद्दीन को एक एक शेर के जरिये अपनी नाराजगी लिखकर भेजी।
शराब पीते हो इतना जरूर याद करो, हुसैन पीते नहीं थे यजीद पीता था। बोले कि मैं शराब बेचना और पीना दोनों को एक समझता हूं। नसीमुद्दीन ने पूरी कोशिश लगा दी पर हमारा बाल बांका नहीं हुआ अफजाल अंसारी बोले नसीमुद्दीन के सवाल पर मुसलमान बिल्कुल खफा नहीं, यह मेरा दावा है। मायावती के दूसरे मुस्लिम नेताओं को न उभरने देने के आरोप पर उन्होंने कहा कि पार्टी से निकाले जाने के बाद नसीमुद्दीन ने पूरा जोर लगा दिया हमारे खिलाफ। पर वह कामयाब नहीं हुए। उनके विरोधों के बावजूद हमने नई पार्टी बनायी और विधायक से लेकर दूसरे चुनावों में मजबूती से लड़कर खुद को साबित किया।