कोरोना काल में हुई पूर्णबंदी के बाद भारत के जम्मू कश्मीर राज्य में लोगों ने अपनी खेती का प्रकार बदला तो उनकी आमदनी इतनी बढ़ गई कि उन्होंने लोगों को नौकरी देना शुरू कर दिया। सुगंधित फूल लैवेंडर की खेती करके वे पूरे राज्य में इसकी खुशबू को और बढ़ा रहे हैं। यहां इसकी खेती से जुड़े करीब एक हजार से अधिक परिवार आज आत्मनिर्भर हैं और अच्छी कमाई कर रहे हैं।
उन्होंने कई पारंपरिक फसलों को छोड़कर लैंवेडर की खेती का फैसला लिया तो लोगों को भी थोड़ा अचंभा हुआ लेकिन अब कमाई देखकर हर कोई इन्हें अपने प्रेरणा का स्रोत बनाना चाहता है। ये कैसे हुआ, आइए जानते है।
मक्का छोड़कर फूल की खेती
जम्मू कश्मीर के भदरवााह जिले में लोगों ने पारंपरिक खेती छोड़ कर लैवेंडर की ओर रुख किया है। उन्होंने मक्का की खेती की जगह लैवेंडर की खेती करना बेहतर समझा। केंद्र सरकार के सुगंधित पादप कृषि प्रोत्साहन मिशन के तहत भदरवाह जिले के विभिन्न गांवों के परिवारों ने यह काम शुरू किया है। खेती करने वाले परिवार अंतरराष्ट्रीय बाजार में लैवेंडर तेल की मांग और अपने फैसले को लेकर काफी खुशी महसूस करते हैं। उनकी कमाई हो रही है और इस फूल की मांग भी बढ़ रही है।
रोजगार भी मुहैया कराया
जानकारी के मुताबिक कोरोना के बाद जब लॉकडाउन लगाया गया तो तमाम रोजगार के साधन बंद हो गए। लोग अपने गांवों की तरफ लौटकर आने लगे। कई कारखाने बंद हुए और निर्माण स्थल पर भी काम बंद हो गया। इस दौरान गांव में लैवेंडर की खेती करने वाले किसान मजदूरों को अपने यहां काम दे रहे थे। गांव में कई ऐसे युवा किसान भी हैं जो शहरों में काम छोड़कर गांव में आए और यहां खेती करना शुरू किया। कई जगह छपी जानकारी के मुताबिक , कई किसानों ने अपनी अच्छी कंपनी की नौकरी छोड़कर मजबूरी में खेती करना शुरू किया था लेकिन कमाई देखकर उन्होंने इसे आगे बढ़ाने का फैसला लिया है। कुछ लोगों को इस खेती को शुरू करने से पहले परिवार से काफी नाराजगी भी उठानी पड़ी क्योंकि परिवार पारंपरिक खेती को छोड़ने को तैयार नहीं था। इलाके में टिपरी, लेहरोटे, खेलानी, मनवा, , त्रब्बी, कौंडला, शारोराचतरा, दांडी, भल्ला और अठखर के कुछ हिस्सों के किसान फूलों की खेती में काफी अच्छा कर रहे हैं। यह कोरोना काल में एक राहत की तरह है।
सरकार भी दे रही है प्रोत्साहन
सीएसआईआर–आईआईआईएम (काउंसिल आफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च – इंडियन इंस्टीट्यूट आफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन) के वैज्ञानिक भी भदरवाह में फूलों की खेती पर काफी खुश हैं। वे लगातार किसानों को प्रोत्साहित कर रहे हैं और मदद करने को तैयार हैं। वैज्ञानिकों का लक्ष्य है कि इस खेती को बढ़ाया जाए। यहां मुफ्त पौधे भी किसानों को बांटे जा रहे हैं। लैवेंडर के अलावा किसानों को रोजमेरी, लेमनग्रास,क्लेरी सेज और अन्य पौधे भी दिए जा रहे हैं। यही नहीं जम्मू के विभिन्न स्थानों पर डिस्टलरी इकाईयां भी लग रही हैं। जानकारी के मुताबिक केंद्र शासित प्रदेश में सुगंधित उद्योग के विकास के लिए केंद्र सरकार के संस्थान किसानों को प्रशिक्षित भी कर रही है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें।
GB Singh
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