सोशल मीडिया साइट के उपयोक्ताओं की निजी जानकारियों के दुरुपयोग को लेकर कड़ी आलोचना के बीच ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के इरादे से फेसबुकने नए निजता टूल (प्राइवेसी टूल) और सेटिंग के विकल्प दिये हैं. इनकी मदद सेउपयोक्ता यह तय कर सकेगा कि वह फेसबुक के साथ अपनी किन सूचनाओं और जानकारी को साझा करना चाहता है. सोशल नेटवर्किंग साइट तब आलोचनाओं के घेरे में आ गई थी जब यह खुलासा हुआ था कि वर्ष 2016 में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति चुनाव अभियान से संबंधित एक ब्रिटिश फर्म ने करोड़ों यूजर्स के निजी डाटा का इस्तेमाल किया है.
लोगों को जागरूक बनाने के लिए और प्रयास
फेसबुक के मुख्य निजता अधिकारी एरिन एगन और डिप्टी जनरल काउंसेलऐश्ले बेरिंगर ने ब्लॉग पोस्ट में कहा, ‘‘कंपनी यह समझती है कि उसे लोगों को जागरूक बनाने के लिए और प्रयास करने होंगे.’’ उन्होंने कहा कि इन बदलावों पर पिछले कुछ समय से काम किया जा रहा है.’’ उन्होंने लिखा, ‘‘हमें पता चला है कि निजता सेटिंग और अन्य महत्वपूर्ण टूल को ढूंढना मुश्किल काम है. हम अतिरिक्त कदम उठा रहे हैं, ताकि आगामी हफ्तों में लोगों को उनकी निजता पर और नियंत्रण दिया जा सके.’’
करीब 2 अरब लोग करते हैं फेसबुक का इस्तेमाल
जो बदलाव किए जा रहे हैं उनमें फेसबुक यूजर सेटिंग और साइट में एकत्र किए गए डाउनलोड और मिटाए गए डाटा को आसानी से खोज सकने (सर्च) का विकल्प देना शामिल है. फेसबुक का इस्तेमाल करीब दो अरब लोग करते हैं. फेसबुक ने कहा किनयी निजता मेन्यू के माध्यम से उपयोक्ता आसानी से और जल्दी अपने अकाउंट की सुरक्षा बेहतर कर सकेंगे, साइट पर उनकी सूचनाओं और गतिविधियों को कौन देख सकता है यह तय कर सकेंगे, साथ ही अपने पेज पर दिखने वाले विज्ञापनों पर भी नियंत्रण रख सकेंगे.
वहीं दूसरी ओर कैंब्रिज एनालिटिका द्वारा डाटा का कथित दुरुपयोग करने का खुलासा करने वाले ब्रिटेन के एक व्हिसिलब्लोवर ने सोशल मीडिया पर सूचना डालकर दावा किया है कि ब्रिटिश कंसल्टेंसी फर्म 2003 के समय से ही भारत में काम रही है. कैंब्रिज एनालिटिका (सीए) के पूर्व कर्मचारी क्रिस्टोफर वाइली ने ब्रिटेन की संसद की डिजिटल, संस्कृति, मीडिया एवं खेल (डीसीएमएस) कमेटी के समक्ष 27 मार्च को कहा था कि कंपनी ने भारत में‘ बड़े पैमाने पर काम किया’ और उसका मानना है कि कांग्रेस उसके ग्राहकों में से एक थी. टि्वटर पर 28 मार्च को डाले गए एक पोस्ट में 28 वर्षीय वाइली ने जनता दल (यू) का नाम भी 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान एक ग्राहक के तौर पर लिया. साथ ही कहा कि कैंब्रिज एनालिटिका की मूल कंपनी एससीएल इंडिया ने उत्तर प्रदेश में कुछ जातिगत सर्वेक्षण किए थे.
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