फिक्की के 90 साल पूरे होने पर पीएम मोदी ने सबको बधाई दी. अपने हितों से उठकर साइमन कमीशन के खिलाफ आवाज उठाई गई थी. उस समय भारत का हर नागरिक राष्ट्रीय हित के लिए आगे आया. वैसे ही भारतीय उद्यमियों ने भी देश की सेवा में अपना योगदान दिया. ऐसा ही एक दौर फिर हमारे सामने आया है.अभी-अभी: राहुल का हुआ बड़ा खुलासा- कांग्रेसियों ने कहा था गुजरात में ज्यादा प्रचार मत करना
इस समय लोगों की आकांक्षाएं जिस स्तर पर है. लोग देश की आंतरिक बुराइयों से और भ्रष्टाचार और कालेधन से परेशान हो चुका है. उसे इससे छुटकारा पाना है. इसलिए आज चाहे कोई राजनीतिक दल हो या फिक्की जैसा कोई संगठन हो. इन्हें चाहिए कि ये अपनी भावी रणनीति केा इस हिसाब से बनाएं
आम आदमी को पिछले 60 साल के दौरान काफी परेशानियां झेलनी पड़ी थीं. उन्हें अपने छोटे बड़े काम के लिए दर-दर भटकना पड़ता था. आम आदमी को इससे निजात दिलाने के लिए हमारी सरकार काम कर रही है; हम एक पारदर्शी माहौल तैयार कर रहे हैं.
जब जनधन योजना शुरू हुई, तो हम ये लक्ष्य तय नहीं कर पाए थे कि कितने गरीबों के लिए खाता खोलने का लक्ष्य यरखें. क्योंकि कोई डाटा मौजूद ही नहीं था. 30 करोड़ से ज्यादा लोगों ने जनधन के तहत खाते खुलवाए हैं. हमने गरीबों के लिए काफी ज्यादा पूर्ति कर पाएं हैं.
जहां ज्यादा बैंक खाते खुले हैं, वहां महंगाई दर में कमी आई है; हमारी सरकार ने लोगों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए अपनी योजनाएं तैयार की हैं. ईज ऑफ लिविंग बढ़ाने केा हमने प्राथमिकता दी है.
उज्वला योजना के बाद फ्यूल इंफलेशन में भी काफी मात्रा में गिरावट आई है. इससे गरीब को ईंधन पर कम खर्च करना पड़ रहा है. गरीबों की समस्याओं को खत्म करने के लिए कदम उठा रहे हैं.
गरीब महिलाओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा पर असर न हो, इसलिए स्वच्छ भारत मिशन के तहत 5 करोड़ शौचालय बनवाए गए हैं.
गरीबों को पक्के घर बनवाए गए. जितना वह किराये पर खर्च करते हैं, उतने में ही उन्हंें घर मिल जाए, इसके लिए हमने प्रधानमंत्री आवास योजना शुरु की है.
गरीबों को ध्यान में रखकर फैसले लें. मुद्रा योजना नौजवानों को अपने दम पर कुछ करने के लिए सहयोग दे रही है. मुद्रा योजना के तहत सरकार उनकी तरफ से गारंटी देती है. अब तक पौने दस करोड़ युवाओं के लिए 4 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा लोन दे चुके हैं.
कॉरपोरेट को लाखों करोड़ों का लोन दिया गया. फिक्की इंडस्ट्री की वॉइस सरकार तक पहुंचाती रहती है. मुझे जानकारी नहीं है कि पहले की सरकार की नीतिया ेने बैंकिंग सेंक्टर की दुर्दशान की. उस पर फिक्की ने सर्वे किया था कि नहीं किया था.
मेरी दिलचस्पी ये भी जानने में ैहै कि जब सरकार की तरफ से बैंकों पर दबाव डालकर विशेष उद्योगपतियों को लोन दिलवाया जा रहा था, क्या तब फिक्की आवाज उठा रही थी. उस समय बाजार से जुड़ी संस्थाएं जानती थीं कि कुछ न कुछ गड़बड़ है.
बैंक के कारोबार से जुड़ा था यूपीए का सबसे बड़ा घोटाला. जनता की गाढ़ी कमाई उद्योगपतियों के जरिये लूट ली गई थी. क्या एक बार भी किसी स्टडी में या अध्ययन में इसकेा लेकर चिंता जताई गई थी. जो मौन रह गए, क्या उन्हें जगाने की कोशिश इस देश की किसी भी संस्था की तरफ से हुई थी.
पिछले तीन सालों में सरकार के द.वारा लिए गए नीतिगत निर्णयों के वजह से निवेश में बहुत ज्यादा वृद्धि हुई है. सरकार नौजवानों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए फैसले ले रही है और योजनाएं बना रही है. इसके बिलकुल उल्टा आपको पिछले सरकार के कार्यकाल में देखने को मिलेगा.
कॉरपोरेट को लाखों करोड़ों का लोन दिया गया. फिक्की इंडस्ट्री की वॉइस सरकार तक पहुंचाती रहती है. मुझे जानकारी नहीं है कि पहले की सरकार की नीतिया ेने बैंकिंग सेंक्टर की दुर्दशान की. उस पर फिक्की ने सर्वे किया था कि नहीं किया था.
एफआरडीआई को लेकर बहुत बड़ी मात्रा में अफवाहें फैलाई जा रही हैं. सरकार ग्राहकों के हित को सुरक्षित करने के लिए लगातार काम कर रही है. खबरें ठीक उससे उल्टी चलाई जा रही हैं. आम नागारिकों को भ्रमित करने से रोकने में फिक्की की अहम भूमिका जरूरी है.
आम आदमी और सरकार के बीच तालमेल बिठाना होगा. भारतीय इंडस्ट्री की पुरानी मांग थी कि उसे जीएसटी चाहिए. साल में चार डेलिगेशन फिक्की के मेरे पास गुजरात में आते थे.
जो लोग सोशल मीडिया पर हैं. उन्होंने ध्यान दिया गया होगा कि रेस्तरां के बिल पोस्ट कर रहे थे कि उनसे ज्यादा पैसे वसूल रहे हैं. जीएसटी जैसे व्यवस्थाएं रातोंरात खड़ी नहीं होती; हम तो 70 साल पुरानी व्यवस्था को बदलने में जुटे हुए हैं. ज्यादा से ज्यादा व्यापारी जीएसटी के दायरे में आएं.
औद्योगिक क्रांति का पूरा लाभ नहीं उठा पाया. आज भारत के पास कई नई वजहें , जिससे वह नई क्रांति की शुरुआत कर सकता है. ये सरकार देश की जरूरतों को समझते हुए नई व्यवस्था तैयार कर रही है. पुराने कानून खत्म कर रही है और नये बना रही है.
बांस को लेकर भी अहम फैसला लिया. बांस पेड़ है या घास है. इसको लेकर हमारे देश में दो कानून थे. एक कहता था घास है और एक कहता था कि यह पेड़ है. किसी को जेल में डालना है तो पेड़ वाला और पैसे वसूलने हैं, तो घास वाला कानून.
सरकार ने तय किया जंगल के बाहर जो बांस उगाया जाता है, तो उसे पेड़ नहीं माना जाएगा. अगरबत्ती और दियासिलाई के लिए भी हम बांबू इंपोर्ट करते हैं.
फिक्की के अनुसार देश के किसी शीर्ष उद्योग संगठन की वार्षिक आमसभा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संबोधित किये जाने का यह पहला मौका है. असल में उद्योग चैंबर्स की AGM को प्रधानमंत्री द्वारा संबोधित करने की परंपरा रही है. इसके पहले यूपीए सरकार में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह अक्सर प्रमुख इंडस्ट्री चैंबर्स के एजीएम को संबोधित करते रहे हैं. लेकिन पीएम मोदी ऐसे किसी AGM में नहीं गए थे.
हालांकि, वह दलित इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री यानी डिक्की और फिक्की लेडीज ऑर्गनाइजेशन के कार्यक्रमों में गए थे. यह पहला मौका है जब नरेंद्र मोदी किसी इंडस्ट्री चैंबर के AGM को संबोधित करेंगे. इंडस्ट्री चैबर्स के AGM में सभी वित्त मंत्री भी जाते रहे हैं. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी पीएचडी चैबर के AGM में जा चुके हैं, जहां से उन्होंने नोटबंदी और जीएसटी के मसले पर सरकार पर हमला बोला था.
GST के बाद उद्योग जगत से पहला सीधा संवाद
फिक्की ने एक बयान में कहा कि ऐसे समय में जब अर्थव्यवस्था ने सकारात्मक संकेत देने शुरू किए हैं, प्रधानमंत्री का उद्योग जगत को संबोधित करना उद्योगों की धारणा को और मजबूत कर सकता है. फिक्की ने कहा, ‘देश में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन के बाद प्रधानमंत्री के इस संबोधन से उद्योग जगत से संवाद करने और जुड़ने की सरकार की कोशिशें मजबूत होने की संभावना है.’
फिक्की की इस वार्षिक आमसभा का थीम ‘नए भारत में भारतीय कारोबार’ (इंडियन बिजनेस इन न्यू इंडिया) रखी गई है. इसे वित्तमंत्री अरुण जेटली और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण भी 14 दिसंबर को संबोधित करने वाले हैं. एक विशेष सत्र को कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया संबोधित करेंगे. इनके अलावा, बिहार के उपमुख्यमंत्री एवं वित्तमंत्री सुशील मोदी, पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा, केरल के वित्त मंत्री थॉमस आइजैक और जम्मू कश्मीर के वित्त मंत्री हसीब द्राबू भी इस दो दिवसीय बैठक को संबोधित करेंगे.