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बाजार में चीनी की मांग घटी लेकिन दाम नहीं #tosnews
गोदामों में चीनी का कोटा भरा पड़ा है लेकिन बाजार में दामों में कोई गिरावट नहीं है। जबकि चीनी की बिक्री न होने से फैक्टरियों से जुड़ी एसोसिएशन चिंता में आ गई है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि जब तक चीनी की बिक्री नहीं हो जाती तब तक उनको थोड़ा और समय मिलना चाहिए ताकि वे चीनी की खपत बाजार में कर सकें। कोरोना महामारी के चलते चीनी की बिक्री प्रभावित होने से गोदामों में अभी भी स्टाक भरा हुआ है। बावजूद इसके चीनी की कीमतें खुदरा बाजार में ज्यों की त्यों हैं। बता दें कि दुनिया में ब्राजील के बाद सबसे बड़ा चीनी उत्पादक भारत है। चालू वर्ष 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी उत्पादन 3.02 करोड़ टन होने का अनुमान है। जबकि चीनी की मांग 2.6 करोड़ टन वार्षिक है।
चीनी मिलें 31 रुपए प्रति किलो से हिसाब से बेंच रही हैं चीनी #tosnews
नेशनल फेडरेशन आॅफ कोआॅपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज NFCSF ने सरकार से कहा है कि बिना बिके चीनी कोटा को खत्म करने के लिए मिलों को और समय देना चाहिए। उनकी बिक्री प्रभावित होने से स्टाक खत्म नहीं हुआ है। चीनी मिलों को सरकार की ओर से तय 31 रुपए प्रति किलो के हिसाब से चीनी बेचना होता है। NFCSF का कहना है कि उनके पास पैसा नहीं है और उत्पादकों को भी गन्ने का बकाया भुगतान करने में मुश्किल आ रही है। संगठन का कहना है कि आवंटित कोटा में से केवल आधा कोटा ही बिका है वह भी 31 रुपये प्रति किलो के हिसाब से। लेकिन इस दर पर भी सहकारी चीनी मिलों को बेचना मुश्किल हो रहा है।
कोटा घटाने की मांग #tosnews
NFCSF का कहना है कि चीनी की मांग में गिरावट आने के चलते अगले महीने सरकार कम चीनी का कोटे आवंटित करे। इस साल अप्रैल के लिए सरकार की ओर से चीनी बिक्री के लिए 22 लाख टन का कोटा तय किया गया है जो रिकार्ड है। बता दें कि सरकार देश की सभी चीनी मिलों के उत्पादन आंकड़ों के मुताबिक हर महीने चीनी बिक्री का कोटा तय करती है। इससे सभी छोटी और बड़ी चीनी मिलों को चीनी बेचने में सहायता मिलती है। NFCSF मानता है कि छह महीनों में जारी किए कोटा, बिक्री की समीक्षा के बाद ऐसा लगता है कि सहकारी चीनी मिलों के कोटा का 50 प्रतिशत नहीं बिका।
क्यों बिक्री में आई गिरावट #tosnews
NFCSF के अध्यक्ष जयप्रकाश दांडेगांवकर बताते हैं कि पिछले साल मार्च में देशव्यापी लॉकडाउन लगाया गया जिससे चीनी की मांग में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई। उस समय न तो कोई मीठा व मिठाई बनाने वाली फैक्टरी चल रही थी और न ही चीनी से जुड़े उत्पाद बन रहे थे। कन्फेक्शनरी, कोल्डड्रिंक, चॉकलेट, बिस्कुट का कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ। जो इसका कारोबार कर रहे थे वे भी थोड़ा बर्बाद हुए। सुस्त मांग के कारण चीनी बिक्री में लगभग 10 लाख टन की कमी आई है।
चीनी के कोटे में अटका पैसा #tosnews
एनएफसीएसएफ का कहना है कि चीनी की बिक्री न होने से सहकारी चीनी मिलें तनाव में आ गई हैं। उनका पैसा स्टाक में अटक गया है और उस पर ब्याज का बोझ बढ़ रहा है। सगंठन ने कहा कि केंद्र सरकार ने चालू महीने के लिए 22 लाख टन के रिकॉर्ड चीनी बिक्री कोटा की घोषणा की। यह कोटा पिछले पांच साल में घोषित 18 लाख टन के औसत से चार लाख टन अधिक है। इससे चीनी की बिक्री पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
—–GB Singh
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