साल 2021 में10 जून को गुरुवार है. ऐसे में इस दिन अमावस्या है और साथ ही ज्योतिष की दृष्टि में वर्ष का पहला सूर्यग्रहण भी लगने जा रहा है. इस सूर्ग्रहण को कृंकणाकृति सूर्य ग्रहण बताया गया है। आपको बता दें कि इस सूर्यग्रहण के बाद दूसरा ग्रहण 4 दिसंबर 2021 को दिखाई देने वाला है। यह पहला सूर्यग्रहण कंकणाकृति का सूर्य ग्रहण होगा।
जानिए कहाँ-कहाँ दिखाई देगा सूर्य ग्रहण?- यह सूर्य ग्रहण उत्तरी अमेरिका के उत्तर पूर्वी भाग, उत्तरी एशिया और उत्तरी अटलांटिक महासागर में दिखाई देगा। वहीँ भारतीय मानक समयानुसार इन हिस्सों में ग्रहण का प्रारंभ 1 बजकर 43 मिनट पर दिन में होगा तथा इसका मोक्ष 6 बजकर 41 मिनट शाम को होगा।
क्या भारत में होगा सूतक काल: आपको बता दें कि यह सूर्य ग्रहण भारत में न के बराबर दिखाई देगा। इस वजह से इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। वहीँ शास्त्रों के अनुसार उपच्छाया ग्रहण या ना दिखाई देने वाला ग्रहण हो तो सूतक काल मान्य नहीं होता है।
सूर्य ग्रहण के प्रकार: 1.खग्रास या पूर्ण, 2.खंडग्रास या मान्द्य, 3.वलयकार या कंकणाकृति।
कैसे होता है सूर्य ग्रहण : कहा जाता है जब पृथ्वी पर चंद्रमा की छाया पड़ती है तब सूर्य ग्रहण होता है। इसका मतलब है कि सूर्य और धरती के बीच जब चंद्रमा आ जाता है तब सूर्य ग्रहण होता है। वहीँ पूर्ण छाया खग्रास, आंशिक छाया खंडग्रास और जिसमें सूर्य के बीचोबीच छाया हो और आसपास से सूर्य नजर आए वह वलयकार ग्रहण होता है। कहा जाता है ग्रहण के दौरान सूर्य में छोटे-छोटे धब्बे उभरते हैं जो कंकण के आकार के होते हैं इसके चलते इसे कंकणाकृति सूर्यग्रहण कहा जाता है।