अपने करियर की शुरुआत उन्होंने साल 1955 में आई फिल्म ‘श्री 420’ से की। इसके बाद उन्होंने कई और फिल्मों में काम किया जिनमें ‘लव इन शिमला’, ‘प्रेम पत्र’, ‘एक मुसाफिर एक हसीना’, ‘वो कौन थी’ और ‘मेरा साया’ जैसी कई हिट फिल्में दीं।
लोग ना सिर्फ साधना की एक्टिंग के कायल थे बल्कि उनके हेयरस्टाइल तक के दीवाने थे। उनकी दीवानगी का ये आलम था कि लड़कियां उनके जैसा हेयरस्टाइल अपनाने लगीं जो ‘साधना कट’ के नाम से आज भी लोकप्रिय है।
लेकिन अचानक ही साधना को थायरॉइड की बीमारी ने घेर लिया जिसकी वजह से उन्हें एक्टिंग में भी तकलीफ होने लगी। इसके इलाज के लिए उन्होंने फिल्मों से कुछ वक्त का ब्रेक लिया और वापस आने के बाद कई फिल्में कीं। लेकिन वापसी के बाद जो किरदार उन्हें मिल रहे थे उनसे वो सहमत नहीं थीं और बस उन्होंने फिल्में छोड़ने का फैसला कर लिया।
आईदिवा को दिए एक इंटरव्यू में खुद साधना ने कहा भी था कि वो मां बहन के रोल नहीं करना चाहती थीं और इसीलिए फिल्में छोड़ दीं। बेशक वो उनके अहम के चलते हुए लेकिन वो हमेशा ही एक खूबसूरत हीरोइन के तौर पर याद की जाएंगी।
धीरे-धीरे थायरॉइड की वजह से साधना की आंखों में भी परेशानी बढ़ गई और एक वक्त वो आया जब उन्होंने पब्लिक इवेंट्स, फंक्शन में जाना और फोटो तक खिंचवाना बंद कर दिया। अपने अंतिम दिनों में भी साधना गुमनामी जैसी जिंदगी में ही रहीं।
उनका कोई अपना करीबी था नहीं और गिरती सेहत और बाकी कानूनी कामों को संभाल नहीं पा रही थीं, जिसके चलते उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री के लोगों से मदद भी मांगी, लेकिन कोई आगे नहीं आया। खुद इसका खुलासा साधना की खास दोस्त और हीरोइन तबस्सुम ने 2015 में दिए एक इंटरव्यू में किया था।