भारतीय ओलंपिक दल ओलंपिक के इतिहास में अब तक का अपना सबसे अच्छा प्रदर्शन करने में सफल रही हैं। बता दे भारत एथलीट टोक्यो ओलंपिक में लंदन ओलंपिक के 6 मेडल में सुधार करते हुए 1 गोल्ड , 2 सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज़ सहित कुल 7 मेडल झटकने में सफल रहे हैं। वहीं नीरज भारत को एथलेटिक में पहला मेडल दिलाने में सफल रहे जबकि भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने भी बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 41 साल के पदक के इंतज़ार को खत्म कर दिया है। भारतीय खिलाड़ियों के दमदार प्रदर्शन के पीछे कुछ विदेशी लोगों का हाथ भी रहा है। चलिए जानते हैं कि इन विदेशी लोगों को जिनके दम पर भारतीय खिलाड़ी ओलंपिक में इतिहास रचने में सफल रहे हैं।
नीरज की सफलता के पीछे इनका हाथ
भारत के स्टार नीरज को जेवेलिन सिखाने का काम उनके हेड कोच उवे होन और बायोकैमिकल स्पेसलिस्ट डॉ. क्लाउस बार्टोनिट्ज का बहुत बड़ा योगदान रहा हैं। उवे होन जर्मनी के ट्रैक एंड फील्ड के एथलीट हैं और उन्होंने खुद 100 मीटर से ज्यादा का भाला फेका है । उन्होंने नीरज के शरीर की फ्लेक्सिबिलिटी पर बहुत काम किया है। वहीं बार्टोनिट्ज ने नीरज के खान पान को ऐसा रखा की नीरज ज्यादा से ज्यादा फ्लेक्सिबल बन पाएं।
रवि दहिया को ट्रेंड किया है इस विदेशी ने
रवि दहिया टोक्यो ओलंपिक में भारत की झोली में सिल्वर मेडल डालने में सफल रहे हैं। लेकिन उनकी इस सफलता के पीछे का श्रेय उनके हेड कोच कमल मालिकोव को भी जाता है। बता दें कि मालिकोव रूस के पहलवान हैं। उन्हें टारगेट पोडियम स्कीम के तहद ही रवि को ट्रेंड करने के लिए नियुक्त किया गया था।
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बजरंग पूनिया को टॉप रेसलर बनाने में इनका बड़ा योगदान
बता दें कि बजरंग को पहले से ही मेडल का दावेदार माना जा रहा है। बजरंग को टॉप लेवल का रेसलर बनाने में सबसे बड़ा हाथ जॉर्जिया के शाको बेंटिनिडिस का रहा है। उनके अंडर में बजरंग के आने के बाद ही उनके खेल में जबरदस्त सुधार आया है। बता दें कि बजरंग टोक्यो में ब्रॉन्ज़ मेडल जीतने में सफल रहे हैं।
पीवी सिंधु को तैयार किया है इस कोरियाई कोच ने
बता दें कि पीवी सिंधु अपने आक्रामक खेल के लिए जानी जाती हैं लेकिन वे डिफेन्स और नेट के करीब खेलने में काफी कमजोर हुआ करती थीं। उनकी इसी कमजोरी को दूर करने का काम कोरियाई कोच पार्क ते संग ने किया था। बता दें कि पीवी सिंधु के ब्रॉन्ज़ मेडल जीतने के बाद पार्क के आंखो में भी खुशी के आंसू आ गए थे।
ऋषभ वर्मा