उत्तराखंड में जंगलों में आग की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए सरकार सतर्क हो गई है। आग पर नियंत्रण के लिए वायु सेना के हेलीकाप्टरों की भी मदद ली जा सकती है। इसके साथ ही एनडीआरएफ, एसडीआरएफ व पुलिस को भी अलर्ट मोड पर रहने के शासन ने निर्देश दिए हैं।
12 घंटों के दौरान विभिन्न स्थानों पर 88 घटनाएं
सचिव आपदा प्रबंधन एसए मुरुगेशन के अनुसार यदि आग नियंत्रण से बाहर होती है तो इसके लिए वायु सेना की मदद लेने समेत सभी विकल्प खुले रखे गए हैं। तापमान में उछाल के साथ ही प्रदेश में जंगलों में आग की घटनाएं भी निरंतर बढ़ रही है। पिछले 12 घंटों के दौरान विभिन्न स्थानों पर 88 घटनाएं हुई, जिनमें 142 हेक्टेयर वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है।
नियंत्रण के लिए पुरजोर प्रयास
इसके साथ ही राज्य में जंगल की आग की घटनाओं की संख्या बढ़कर 401 पहुंच गई है, जबकि प्रभावित क्षेत्र 517.68 हेक्टेयर हो गया है। यद्यपि, वन विभाग की ओर से आग पर नियंत्रण के लिए पुरजोर प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन पारा चढऩे के साथ ही चुनौती भी बढ़ गई है।
जंगल की आग आपदा में शामिल
जंगलों के धधकने का क्रम तेज होने पर सरकार भी चौकन्नी हो गई है। जंगल की आग आपदा में शामिल है। इसे देखते हुए उच्च स्तर पर भी मंथन चल रहा है। सचिव आपदा प्रबंधन एसए मुरुगेशन ने बताया कि आग पर नियंत्रण के लिए राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) व पुलिस का सहयोग लेने के निर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं।
गृह मंत्रालय से आग्रह किया जाएगा
मुरुगेशन के अनुसार यदि लगता है कि आग नियंत्रण से बाहर हो रही है तो राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की प्रदेश में तैनात टुकडिय़ों को तैयार रहने को कहा गया है। आवश्यकता पडऩे पर वायु सेना के हेलीकाप्टरों की मदद के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से आग्रह किया जाएगा। गौरतलब है कि पिछले वर्ष भी जंगलों की आग बुझाने में सेना और वायुसेना के हेलीकाप्टरों की मदद ली गई थी।