हिन्द धर्म में गणेश जी की पूजा सच्ची श्रद्धा और विश्वास के साथ की जाती है। देश ही नहीं दुनिया में भी उनके असंख्य भक्त हैं। उन्हें अपने भक्तों के रास्ते की रुकावटों को दूर करने वाले देवता के रूप में जाना जाता है। भक्त उन्हें गणपति और विनायक के नाम से पुकारते हैं।
भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र गणेश जी को आरंभ का देवता भी माना जाता है। हिंदू धर्म में कोर्इ भी शुभ काम करने से पहले गणेश जी का आह्वान किया जाता है, ताकि उसमें कोई व्यवधान या रुकावट न आए।
गणेश जी को बुद्धि, सिद्धि और सम्पन्नता का देवता माना जाता है। शिव पुराण के मुताबिक ऋद्धि-सिद्धि उनकी दो पत्नियां हैं और शुभ व लाभ उनके दो पुत्र हैं। इसलिए गणेश जी का आर्शीवाद जिसे मिलता है, उसे यह सभी चीजें अपने आप ही मिल जाती हैं। असामान्य स्वरूप वाले गणेश जी का व्यक्तित्व भी काफी रहस्यमयी है। तस्वीरों में उन्हें हाथी के मुख वाला, मोटे-गोल पेट और चार भुजाओं के साथ दिखाया जाता है। उनके एक हाथ में फरसा है और दूसरे में कमंद, नीचे के दो हाथों में से एक से अभय मुद्रा प्रदर्शित होती है और दूसरे हाथ में वह अपने प्रिय मिष्ठान मोदक का कटोरा थामे हुए हैं। साथ ही वह अपने वाहन मुषक पर विराजमान हैं।
गणेश मंत्र की साधना
गणपति जी को बुद्धि और ज्ञान का देवता कहा जाता है। उन्हें प्रसन्न करने के लिए कई मंत्रों का जाप किया जाता है। सभी मंत्रों में इतनी ताकत होती है कि वह जपने वाले के लिए सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। यह मंत्र आपको जीवन में आने वाली किसी भी परेशानी से बाहर निकलने में मदद करते हैं। इन मंत्रों का जाप करने वाले साधक सफलता के शिखर को छूते हैं और उन्हें शुभता, संपन्नता और सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है।
कैसे करें गणेश मंत्रों का जाप
गणेश मंत्रों के जाप का एक विशेष तरीका है, मंत्र साधना के समय उसका पालन करना बेहद जरूरी है। सबसे पहले उनके प्रति सच्ची आस्था होनी चाहिए। स्नान या हाथ-पैर धोकर खुद को स्वच्छ कर लें। गणपति जी की तस्वीर या मूर्ति उत्तर, पूर्व या उत्तर पूर्व दिशा में आसीन करें। जप माला हाथों में लेकर गणेश जी का सच्चे मन से ध्यान करें और 108 बार उनके मंत्र का जाप करें। बेहतर होगा आप मंत्रों का जाप एकांत में करें, ताकि इसमें कोर्इ विघ्न न आए। धार्मिक जानकारों का कहना है कि मंत्रों का जाप एकांत में कम से कम 40 दिनों तक बिना नागा के करना चाहिए।
गणेश जी का सबसे सहज मंत्र
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ: ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ।।
गणेश जी के सभी मंत्रों इसका सबसे अधिक महत्व है। इसका जाप धन, बुद्धि और आलोक प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस मंत्र का जाप उनकी पत्नियों रिद्धि-सिद्धि को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है।
इस मंत्र का अर्थ है : हे गोल सूंड और महाकाय शरीर वाले प्रभु, जिनका तेज करोड़ों सूर्य के तेज भी अधिक तेजमय है, जो हमेशा बाधाओं को दूर करने वाले हैं, मेरे रास्ते की रुकावओं को दूर कर मुझे पर अपनी कृपा बनाएं।
गणेश जी का आधार मंत्र :
ऊं गं गणपतये नम:
यह सबसे सरल मंत्र है जिसका अर्थ है हे सर्व शक्तिमान गणपति जी हम आपके सामने सिर झुकाते हैं और आपके आर्शीवाद के लिए आपसे प्रार्थना करते हैं। मान्यता है कि यह मंत्र सारी नकारात्मकता का नाश कर सफलता के मार्ग खोलता है।
गणेश गायत्री मंत्र :
ऊं एकदंताय विद्यामहे, वक्रतुण्डाय धीमहि
तन्ने दंति प्रचोदयात्
इसका अर्थ है : हे गणेश जी, हम उस प्रभु के सामने सिर झुकाते हैं जिसकी गज के समान एक सूंड है और जो सर्वव्यापी है। हम गोल सूंड वाले गणेश जी से प्रार्थना करते हैं कि वो हमें बुद्धि और ज्ञान का वरदान दें।
गणेश मंत्र के लाभ
कहते हैं गणेश मंत्रों का जाप करने से आपकी सफलता के रास्ते में आने वाली कठिनाइयां दूर हो जाती हैं।
गणेश मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति के सभी चक्र जागृत हो जाते हैं, जिससे उसके शरीर में रक्त संचार और चयापचय बेहतर हो जाता है।
जाप करने वाले को शांति प्राप्त होती है और शत्रुओं पर सरलता से विजय हासिल हो जाती है।
इनके जाप से एकाग्रता और साहस में वृद्धि होती है और जीवन सरल हो जाता है।
इसके नियमित जाप से व्यक्ति को धन, संपदा, वैभव, बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
अपराजिता श्रीवास्तव