देश की प्रमुख और पौराणिक महत्व वाली नदी मोक्षदायनी मां गंगा जिस दिन धरती पर उतरी थीं उसे ही गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व ज्येष्ठद मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को समूचे उत्तर भारत में मनाया जाता है। पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए कठोर तप किया और मां गंगा को धरती पर आने के लिए राजी किया था। इसलिए गंगा दशहरा का महत्व और भी बढ़ जाता है।
गंगा के दर्शनमात्र से मिल जाता है मोक्ष
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को हस्त नक्षत्र में मां गंगा धरती लोक में अवतरित हुुुुुुई थीं। गंगा नदी के जल को पवित्र माना जाता है। गंगाजी के दर्शन मात्र से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। कहते हैं गंगा ब्रह्मा जी के कमंडल में वास करती है, भगवान विष्णु के पैरों से होकर निकलती हैं। मां गंगा के वेग से धरतीवासियों को बचाने के लिए भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में धारण किया है। मान्यता है कि गंगा दशहरा के दिन गंगा जी में स्नान करने से कर्इ महायज्ञों के बराबर फल की प्राप्ति होती है, पाप का नाश होता है और व्यक्ति को मृत्यु उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को हस्त नक्षत्र में मां गंगा धरती लोक में अवतरित हुुुुुुई थीं। गंगा नदी के जल को पवित्र माना जाता है। गंगाजी के दर्शन मात्र से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। कहते हैं गंगा ब्रह्मा जी के कमंडल में वास करती है, भगवान विष्णु के पैरों से होकर निकलती हैं। मां गंगा के वेग से धरतीवासियों को बचाने के लिए भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में धारण किया है। मान्यता है कि गंगा दशहरा के दिन गंगा जी में स्नान करने से कर्इ महायज्ञों के बराबर फल की प्राप्ति होती है, पाप का नाश होता है और व्यक्ति को मृत्यु उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस साल बन रहा है विशेष योग
इस साल गंगा दशहरा रविवार 20 जून को मनाया जाएगा। इस वर्ष ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि का आरंभ 19 जून को शाम 6.50 बजे हो रहा है जो 20 जून की शाम 4.25 बजे तक रहेगी। इस दिन देवगुरु बृहस्पति शनि देव की राशि कुंभ में उल्टी चाल से चलेंगे। कुंडली में बृहस्पति का स्थान मजबूत होने से धन-धान्य के भंडार भरे रहते हैं और जीवन में शुभता विराजमान रहती है। इस खास दिन बृहस्पति के राशि परिवर्तन से विशेष योग बन रहा है। इसके अलावा इस दिन शिव योग और परिघ योग भी बन रहे हैं।
इस साल गंगा दशहरा रविवार 20 जून को मनाया जाएगा। इस वर्ष ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि का आरंभ 19 जून को शाम 6.50 बजे हो रहा है जो 20 जून की शाम 4.25 बजे तक रहेगी। इस दिन देवगुरु बृहस्पति शनि देव की राशि कुंभ में उल्टी चाल से चलेंगे। कुंडली में बृहस्पति का स्थान मजबूत होने से धन-धान्य के भंडार भरे रहते हैं और जीवन में शुभता विराजमान रहती है। इस खास दिन बृहस्पति के राशि परिवर्तन से विशेष योग बन रहा है। इसके अलावा इस दिन शिव योग और परिघ योग भी बन रहे हैं।
गंगा दशहरा पर गंगा स्नान करने से मिलता है मोक्ष
माना जाता है कि जिस दिन पाप नाशिनी मां गंगा धरती पर अवतरित हुुुुई थीं, उस दिन 10 शुभ योग एक साथ बने थे। गंगा दशहरा के दिन इस पावन नदी में स्नान करने वाले को परस्त्री गमन, हिंसा, दूसरों को कष्ट पहुंचाने समेत 10 पापों से मुक्ति मिल जाती है।
माना जाता है कि जिस दिन पाप नाशिनी मां गंगा धरती पर अवतरित हुुुुई थीं, उस दिन 10 शुभ योग एक साथ बने थे। गंगा दशहरा के दिन इस पावन नदी में स्नान करने वाले को परस्त्री गमन, हिंसा, दूसरों को कष्ट पहुंचाने समेत 10 पापों से मुक्ति मिल जाती है।
गंगा दशहरा पर इस तरह करें पूजन
सुबह नित्य कर्म करने के बाद घर में नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें। मां गंगा का ध्यान करते हुए प्रार्थना करें और पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें। इससे घर की नकारात्मकता दूर होगी और शांति का वास होगा। आज के दिन गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करने से भगवान भोलेनाथ की भी कृपा प्राप्त होती है।
सुबह नित्य कर्म करने के बाद घर में नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें। मां गंगा का ध्यान करते हुए प्रार्थना करें और पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें। इससे घर की नकारात्मकता दूर होगी और शांति का वास होगा। आज के दिन गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करने से भगवान भोलेनाथ की भी कृपा प्राप्त होती है।
अपराजिता श्रीवास्तव