वैशाख मास को भगवान के काफी करीब माना गया है। इस मास में काफी त्योहार और व्रत ऐसे होते हैं जो मनुष्यों के कष्टों को दूर करते हैं। ऐसा ही एक और त्योहार इस मास में पड़ेगा। यह गंगा सप्तमी के नाम से मनाया जाता है। गंगा सप्तमी का विशेष महत्व उन शहरों में दिखाई देता है जहां-जहां से गंगा निकलती हैं। यह दिन काफी शुभ माना जाता है और कहा जाता है कि गंगा में स्नान करने से सारे कष्ट दूर होते हैं। आइए जानते हैं इस दिन का महत्व।
क्यों मनाते हैं गंगा सप्तमी
गंगा सप्तमी को हमेशा वैशाख मास में सप्तमी तिथि के दिन ही मनाते हैं। कहते हैं कि इसी दिन माता गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं और भगीरथ के पूर्वजों को मुक्ति मिली थी। इसके बाद से धरती पर लोगों का कल्याण करने के लिए माता यहीं रहीं। कहा जाता है कि गंगा जब धरती पर आ रही थीं तो उनका वेग अधिक था। उनके अत्यधिक तेज वेग को संभालने के लिए महादेव ने गंगा को अपने जटाओं में स्थान दिया। उसके बाद भी जब गंगा धरती पर नहीं उतरीं तो भगीरथ ने महादेव से प्रार्थना की और माता को जटाओं से धरती पर उतारा। यह दिन गंगा सप्तमी के दिन से जाना जाता है। उस दिन वैशाख मास की सप्तमी तिथि थी।
कैसे मनाएं गंगा सप्तमी
वैशाख मास में शुक्ल पक्ष में सप्तमी तिथि के दिन 8 मई को यह मनाया जाएगा। सप्तमी तिथि 7 मई को शनिवार के दिन दोपहर में 2:56 से लगेगा और 8 मई को रविवार को शाम 5 बजे समाप्त होगा। लेकिन उदया तिथि के कारण 8 मई को सुबह गंगा सप्तमी मनाया जाएगा। इस दिन लोगों को गंगा में स्नान करना चाहिए और दान करना चाहिए। कहा जाता है कि इस दिन गंगा में नहाने से कष्ट और पाप दूर होते हैं। 8 मई को दोपहर में ढाई बजे तक पूजा कर सकते हैं। मोक्ष की प्राप्ति के लिए स्नान जरूरी है।
GB Singh