गरुड़ पुराण दिया गया है जीवन का सबसे बड़ा ज्ञान, माता-पिता के समान श्रेष्ठ कोई देवता नहीं

हिंदू धर्म के एेसे कई पुराणव ग्रंथ हैं जिनमें मानव के हित के लिए कई बातें बताई गई हैं। इन पुराणों में से एक गरुड़ पुराण है। आज हम आपको इसके एक श्लोक के बारे में बताने जा रहे हैं, जिस के द्वारा मानव को यह बताया गया है कि संसार में माता-पिता के समान श्रेष्ठ अन्य कोई देवता नहीं है। 

गरुड़ पुराण (2/21/28-29) में कहा है- 

पितृमातृसमंलोके नास्त्यन्यद दैवतं परम्।
तस्मात सर्वप्रयत्नेन पूजयते् पितरौ सदा।।
हितानमुपदेष्टा हि प्रत्यक्षं दैवतं पिता।
अन्या या देवता लोक में देहेप्रभवो हिता :।। 

अर्थात: संसार में माता-पिता के समान श्रेष्ठ अन्य कोई देवता नहीं है। अत: सदैव सभी प्रकार से अपने माता-पिता की पूजा करनी चाहिए। हितकारी उपदेश देने वाला होने से पिता प्रत्यक्ष देवता है। संसार में जो अन्य देवता हैं, वे शरीरधारी नहीं हैं।

 

इन प्रत्यक्ष देवताओं की सदैव पूजा करना अर्थात सेवा करना और सुखी रखना ही हमारा सर्वोपरि धर्म है। श्री वाल्मीकि रामायण में भी माता-पिता और गुरु को प्रत्यक्ष देवता मानकर सेवा और सम्मान करने का उपदेश दिया गया है। इस विषय में निम्र दो श्लोक दृष्टव्य हैं-
 

अस्वाधीनं कथं दैवं प्रकारैरभिराध्यते।
स्वाधीनं समतिक्रम्य मातरं पितरं गुरुम्।। 

यत्र त्रयं त्रयो लोका: पवित्रं तत्समं भुवि।
नान्यदस्ति शुभाङ्गे तेनेदमभिराध्यते।। 

अर्थात: भगवान श्री राम सीता जी से कहते हैं कि हे सीते! माता-पिता और गुरु ये तीन प्रत्यक्ष देवता हैं, इनकी अवहेलना करके अप्रत्यक्ष देवता की आराधना करना कैसे ठीक हो सकता है? जिनकी सेवा से अर्थ, धर्म और काम तीनों की प्राप्ति होती है, जिनकी आराधना से तीनों लोकों की आराधना हो जाती है, उन माता-पिता के समान पवित्र इस संसार में दूसरा कोई भी नहीं है। इसलिए लोग इन प्रत्यक्ष देवता (माता-पिता, गुरु) की आराधना करते हैं। 

 

English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com