गरुड़ पुराण में क्या है जो मृत्यु के बाद पाठ करते हैं

गरुण पुराण में मनुष्य के हर जन्मों का कर्म लिखा होता है और कर्मों के अनुसार ही फल का भी वर्णन किया गया है। गरुड़ पुराण में व्यक्ति के कर्मों का फल और नृत्य से संबंधित बातों का उल्लेख किया गया है। और इस पुराण के अधिष्ठान देवता भगवान विष्णु है। गरुण पुराण में वाहन गरुड़ जिनके ऊपर भगवान विष्णु बैठे हैं शास्त्रों में इन्हें विनायक, विष्णु रथ खगेश्वर जैसे कई नामों से जाना जाता है।

गरुण देवता को सनातन धर्म बल्कि हिंदू धर्म में भी इस नाम से जानते हैं वही बौद्ध धर्म में भी इस खास पक्षी को वरीयता दी गई है।

बौद्ध धर्म के अनुसार गरुण को सुपर्ण यानी कि अक्षय पंख वाला पक्षी मानते हैं। इसकी कहानियां भी गरुड़ पुराण में व्याख्यान हैं। धार्मिक मान्यताओं की बात करें तो जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो घर में गरुड़ का पाठ किया जाता है। तो चलिए जानते हैं कि मृत्यु के बाद गरुण का पाठ क्यों किया जाता है।

गरुण पुराण क्या है
गरुण पुराण धार्मिक कथा में इस ग्रंथ का वर्णन किया गया है। इससे जुड़ी एक कथा भी है। एक समय गरुड़ देव ने भगवान विष्णु से प्राणियों की मृत्यु नरक योनि यमलोक यात्रा और सद्गति के विषय में बहुत ही गूढ़ और रहस्यमय सवाल किए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन्हीं सवालों से गरुण पुराण ग्रंथ का निर्माण हुआ। ऐसा कहा जाता है कि कर्मों के आधार पर ही इस ग्रंथ में इस बात का उल्लेख किया गया है कि व्यक्ति को दंड भी मिलता है और उसे स्वर्ग भी मिलता है।
इस पुराण में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि संगत से व्यक्ति को कौन सी दिशा प्राप्त होती है। भगवान विष्णु को इस पुराण में बार-बार उल्लेखित किया गया है जिनके बारे में जानना उतना ही आवश्यक है।

मृत्यु के बाद क्यों सुनाते हैं गरुड़ पुराण

जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तब घर में गरुण पुराण का पाठ रखा जाता है। सनातन धर्म में गरुण पुराण में मित्रों से पहले और बाद दोनों की ही स्थिति का जिक्र किया गया है। मृत्यु के बाद परिजन 13 दिन घर में गरुड़ पुराण रखते हैं। शास्त्रों के अनुसार व्यक्ति की मौत के बाद जो उसकी अंतरात्मा है तुरंत ही किसी दूसरे रूप में जन्म ले लेती है। इस दौरान किसी व्यक्ति को 3 दिन जन्म लेने में लगते हैं तो किसी को 10 से 13 दिन किसी दूसरे शरीर में जन्म लेने में लगते हैं तो किसी को सवा महीना भी लगता है। लेकिन जब किसी व्यक्ति की स्मृति पक्की होती है किसी से लगाओ अधिक होता है तो अकाल मृत्यु प्राप्त प्राणी को दूसरा जन्म लेने में तकरीबन 1 साल तक का समय लग जाता है। और इसी बीच परिजन गया में उसका अंतिम तर्पण देखकर उसे मोक्ष प्रदान करते हैं।

आपको बता दें कि गरुण पुराण के मुताबिक मृत्यु उपरांत प्राणी की आत्मा 13 दिन तक परिजनों के बीच ही घूमती रहती है यही कारण है कि घर में गरुण पुराण का पाठ किया जाता है और कहा जाता है कि इससे इंसान स्वर्ग नरक गति संगति अधोगति दुर्गति आदि की गतियों से अवगत हो जाता है।

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