ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को माता गायत्री की उत्पत्ति हुुई थी, इसलिए इस दिन को उनके प्रकटोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस साल यह तिथि 21 जून यानी सोमवार को है। इसी दिन निर्जला एकादशी का व्रत भी है। गायत्री माता की उत्पत्ति को लेकर प्राचीन में धर्म ग्रंथों में कई तरह की कथाएं हैं। गायत्री माता को चारों वेदों माता यानी उनसे ही वेदों की उत्पत्ति मानी गर्इ है। इसीलिए उन्हें कहीं-कहीं वेदमाता भी कहा गया है। इन्हें देव माता भी कहा जाता है क्योंकि यही ब्रह्मा, विष्णु और महेश की आराध्य भी हैं।
कुछ जगहों पर गायत्री को ब्रह्मा की दूसरी पत्नी भी कहा गया है। एक पौराणिक कथा के अनुसार ब्रह्मा जी पुष्कर में कोर्इ यज्ञ कर रहे थे और उस दौरान उनकी पत्नी सावित्री उनके साथ नहीं थीं। हिंदू शास्त्रों में कहा गया है कि विवाहित पुरुषों को पत्नी के बिना धार्मिक अनुष्ठान करने पर फल की प्राप्ति नहीं होती है। अत: यज्ञ का हिस्सा बनने के लिए ब्रह्मा जी ने वहां पर मौजूद माता गायत्री से विवाह कर लिया।
गायत्री मंत्र का अर्थ और असर
गायत्री मंत्र सिर्फ एक मंत्र नहीं अपितु यह महामंत्र है। इसमें हमारे चारों वेदों का सार समाया है। कर्इ पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि जिसने गायत्री महामंत्र को सिद्ध कर लिया उसे चारों वेदों का ज्ञान प्राप्त हो गया। इस मंत्र की महानता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सबसे पहले वेद ऋगवेद की शुरुआत इसी मंत्र से होती है। ऐसी मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने वेदों की रचना से पूर्व 24 अक्षरों वाले गायत्री मंत्र की रचना की थी।
गायत्री मंत्र : ऊं भुर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमही धियो यो न: प्रचोदयात्
भू लोक, स्वर्गलोक और पाताल लोक में मौजूद परमात्मा का हम आवाह्न करते हैं। उनका तेज हमारे विवेक को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करे।
ऊं : परमात्मा, भू : प्राण से प्रिय, भुव: : दुख दूर करने वाला, स्व: : सुख स्वरूप, तत् : उस, सवितु : प्रेरक, वरेण्य : वरने योग्य, भर्गो : शुद्ध, देवस्य : देव का, धीमही : हम ध्यान करें, धियो : बुद्धि को, यो : जो, न: : हमारी, प्रचोदयात् : अच्छे काम के लिए प्रेरित करें।
24 अक्षरों वाले गायत्री मंत्र के हर अक्षर में एक देवता और उनकी शक्तियों का आवाह्न है। इसमें 24 शक्ति बीज हैं और गायत्री मंत्र का रोजाना पाठ करने से उन शक्तियों की सिद्धि प्राप्त होती है।
अपराजिता श्रीवास्तव