रत्न क्यों होते हैं खास
बताते हैं कि रत्न पहना जाता है तो कुंडली में ग्रह मजबूत होता है। इससे न केवल आपको आगे बढ़ने में सफलता मिलती है बल्कि यह आपके हर काम को सफल करने में भी मदद करता है। इसके पीछे भी एक विज्ञान बताया जाता है। यह किस तह के किसी के मन में अपना असर डालकर उसको बदलते हैं। रत्न शास्त्र में रत्नों के साथ ही उप रत्नों के बारे में भी बताया गया है। रत्न को पहनने का भी नियम होता है।
जानिए रत्न पहनने का क्या है नियम
रत्न हमेशा शरीर की ऊर्जा के साथ अपना मेल बनाता है। कहते हैं कि ऊर्जा दोनों भौहों के बीच माथे पर ही सबसे अच्छी तरह ग्रहण होती है। इसके अलावा ऊर्जा का ह्रास पैरों के अंगूठे से होता है। इसलिए कहा जाता है कि राजा महाराजा लोग पहले अपने माथे पर रत्न जड़ा मुकुट पहनते थे। हालांकि आज यह मुमकिन तो नहीं है लेकिन फिर भी कुछ अन्य जगह इसे ग्रहण करने से यह अच्छा फल दे सकता है। रत्न आप गर्दन, हृदय के समीप, कलाई, उंगली, में धारण कर सकते हैं। साथ ही रत्न में असर भी समय के अनुसार दिखता है। जैसे मोती तीन, मणिक 30, मूंगा 21, पन्ना 7, पुखराज 15, नीलम 2, हीरा 22, गोमेद 30 दिन में असर दिखाता है। महिला हमेशा बाएं और पुरुष दाएं हाथ में रत्न पहने तो अच्छा होगा।
GB Singh