भारतीय मौसम का त्योहारों के साथ एक खास नाता है। यहां हर त्योहार की जुगलबंदी मौसम के साथ है। जैसे होली में लोग रंग और पानी से खेलकर जहां गर्मी का स्वागत करते हैं वहीं दिवाली पर लोग दीपक जलाकर सर्दी का। इसी तरह माघ महीने के बाद पौष माह आता है। इस माह के बाद आता है फाल्गुन। फाल्गुन का स्वागत विद्या की देवी माता सरस्वती की पूजा के साथ करते हैं। कहते हैं कि फाल्गुन माह में सर्दी के जाने से मौसम में भी निखार आता है। फाल्गुन की पंचमी को माता सरस्वती की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं।
बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त
हिंदू धर्म में मान्यताओं के अनुसार शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ब्रह्मा से माता सरस्वती की उत्पत्ति हुई थी। इस दिन माता शारदा की पूजा करने से विद्या की प्राप्ति होती है। यह इस बार पांच फरवरी को मनाया जाएगा। बसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है। शुभ मुहूर्त की देखें तो माता सरस्वती की पूजा सुबह तीन बजकर 47 मिनट पर शुरू होगी और यह छह फरवरी को समाप्त होगी। रविवार को सुबह तीन बजकर 46 मिनट पर यह समाप्त होगा। बसंत पंचमी की पूजा सूर्योदय के बाद सूर्यास्त के पहले करना अच्छा माना जाता है।
पूजा की क्या है विधि
माता सरस्वती की पूजा के लिए विधि को जानना बहुत आवश्यक है। बसंत पंचमी में माता सरस्वती की पूजा करने से विद्या की देवी प्रसन्न होती है। माता को खुश करने के लिए सफेद और पीले रंग के वस्त्र पहनना अच्छा होगा। इससे पहले आपको स्नान करना होगा। अब आप पूरब या उत्तर की ओर से अपना मुंह करेंगे और पूजा करेंगे। आप माता सरस्वती की स्थापना पीले वस्तों से करें तो अच्छा होगा। साथ ही माता को रोली और केसर लगाएं। हल्दी और अक्षत से टीका लगाकर उनको पीले फूल और पीली मिठाई अर्पित करें। आप माता के समक्ष दही हलवा भी रखें तो अच्छा होगा। माता को सफेद या पीले फूल चढ़ाकर उनको खीर भी अर्पित करें। साथ ही हल्दी से स्फटिक की माला से ऊं ऐं सरस्वत्यै नम: का जाप भी करें। बसंत पंचमी में गृह प्रवेश काफी शुभ माना जाता है। यह पर्व बंगाल में काफी अच्छे से मनाया जाता है।
GB Singh
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features