नई दिल्ली: वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस के उस दावे को खारिज कर दियाए जिसमें पार्टी ने कहा था कि चुनाव ने सरकार को 200 वस्तुओं के जीएसटी दरों में कटौती करने को मजबूर कर दिया। जेटली ने कहा कि जीएसटी की दरों में कटौती के लिए तीन.चार महीने से काम चल रहा था। इसे किसी चुनाव या राजनीतिक मजबूरी से जोड़कर देखना बचकानी राजनीति है।

सभी करों को एक स्लैब में करने की राहुल गांधी की मांग को खारिज करते हुए जेटली ने कहा कि आगे भी कर में कटौती की गुंजाइश है। लेकिन इसका फैसला वित्त विभाग और जीएसटी परिषद करेंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि फिटमेंट कमेटी के सुझाव पर जीएसटी काउंसिल ने वस्तुओं के कर में कटौती का फैसला लिया था।
यह पूरी तरह जीएसटी काउंसिल का सर्वसम्मत फैसला था। केंद्र और महाराष्ट्र की सत्ता में सहयोगी पार्टी शिवसेना ने जीएसटी को लेकर एक बार फिर भाजपा पर निशाना साधा है। शिवसेना ने कहा है कि गुजरात चुनाव में हार से बचने के लिए जीएसटी दरों में कटौती की गई है। बीजेपी पर व्यंग्य कसते हुए शिवसेना ने कहा था कि ये लोग किसी भी मुद्दे पर राजनीतिक लाभ उठाने में माहिर हैं।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र में क्यों झुके ये बताओ शीर्षक के तहत सोमवार को प्रकाशित संपादकीय में लिखा है कि कल तक सरकार जीएसटी को अभेद्य बता रही थी लेकिनए अब यू टर्न ले लिया है। उसके बाद यह ढोल पीटा जा रहा है कि इससे छोटे व्यापारियों को राहत मिलेगी। शिवसेना ने कहा है कि जीएसटी में कदम पीछे खींचना चुनाव पूर्व भ्रष्टाचार है।
यह छोटे व्यापारियों की मूंछ पर मक्खन लगाने की हरकत है। शिवसेना ने दावा किया कि बीजेपी नेताओं को गांव में नहीं घुसने दिया जा रहा है। जीएसटी को लेकर देश में आक्रोश पनपा तो गुजरात के व्यापारी सड़कों पर उतरे। व्यापारियों ने लाठियां खाईं लेकिन जब भाजपा को लगा कि उसकी मार विधानसभा चुनाव में पड़ेगी।
बता दें कि बीते 10 नवंबर को जीएसटी काउंसिल ने 200 से अधिक वस्तुओं पर कर दरों में कटौती कर उपभोक्ताओं और कारोबारियों को राहत प्रदान की है। वहीं रोजमर्रा की जिंदगी में काम आने वाली 178 वस्तुओं को शीर्ष दर 28 प्रतिशत के दायरे से बाहर कर 18 प्रतिशत कर श्रेणी को स्थानांतरित किया गया है। इसके अलावा सभी रेस्तरां में समान कर 5 प्रतिशत निर्धारित किया गया है।
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