नई दिल्ली: आयुष्मान भारत योजना को स्वास्थ्य सुविधा के क्षेत्र में गेमचेंजर करार देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि इसके माध्यम से देश के 40 प्रतिशत गरीबों को सरकारी खर्च पर अस्पताल में उपचार सुनिश्चित किया गया है और पहले 100 दिनों में पौने सात लाख मरीजों का इलाज हुआ है।
अरुण जेटली ने अपने ब्लाग आयुष्मान भारत के 100 दिन में लिखा है कि यह योजना स्वास्थ्य सुविधा के क्षेत्र में गेंमचेंजर योजना है।
कमजोर वर्ग के काफी संख्या में लोग अस्पतालों में उपचार पर होने वाले खर्च के भार के कारण इलाज नहीं करा पाते हैं। आज आयुष्मान भारत योजना के तहत सार्वजनिक खर्च पर भारत के 40 प्रतिशत सबसे गरीब लोगों को अस्पताल में उपचार सुनिश्चित किया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना के तहत पहले 100 दिनों में 6.85 लाख मरीजों का मुफ्त इलाज हुआ।
योजना के तहत 5.1 लाख दावों के संबंध में भुगतान किया गया है। इस तरह से पहले 100 दिनों में औसत दावे प्रतिदिन 5000 बनते हैं। किसी भी मरीज को एक रूपया भी नहीं देना पड़ा। जेटली ने कहा कि इस तरह से इस योजना को लेकर एक बार जागरूकता बढऩे पर अगले कुछ वर्षो में प्रत्येक वर्ष 1 करोड़ लोगों को इसका लाभ होगा। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत 16 हजार सरकारी एवं निजी अस्पताल पंजीकृत हैं और यह संख्या धीरे धीरे बढ़ती जा रही है।
इसमें से 50 प्रतिशत पंजीकृत अस्पताल निजी क्षेत्र से हैं। इस तरह से मरीज पंजीकृत अस्पताल में उपचार के लिये पंजीकरण करा सकते हैं और 5 लाख रूपये तक की राशि का उपचार करा सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से स्वास्थ्य क्षेत्र में रोजगार में वृद्धि होगी और इससे स्वास्थ्य सुविधा क्षेत्र में जवाबदेही बढेगी।
जेटली ने कहा कि यह ऐसे समय में हो रहा है जब भारतीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में कमियों का उल्लेख किया जाता रहा है। भारत में अनेक अस्पतालों के विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी होने के बावजूद ये देश की बड़ी आबादी की पहुंच से बाहर रहे हैं। भारत में 62 प्रतिशत आबादी को स्वास्थ्य से संबंधित बिल का भुगतान खुद करना पड़ता है और काफी संख्या में लोग इसका भार वहन करने में खुद को असमर्थ पाते हैं। ऐसी ही स्थिति में सरकार ने आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना शुरू की जिसे 23 सितंबर 2018 को पेश किया गया ण् इस योजना के आज 100 दिन पूरे हुए हैं।