जीएसटी का सबसे बड़ा असर तो देश में चल रही दुनिया की सबसे बड़ी रसोई पर पड़ा है। यहां हर रोज लाखों लोग मुफ्त में खाना खाते हैं, अब क्या होगा? 
दरअसल, जीएसटी से कई चीजों के दाम बढ़ गए हैं। इसके कारण लंगर भी महंगा हो गया है। इसलिए केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से मांग की कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से लंगर सेवा के लिए खरीदी जाने वाली रसद को जीएसटी एक्ट से छूट दी जाए।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) देसी घी, चीनी और दालों की खरीद पर करीब 75 लाख रुपये खर्च करती है। अब यह सारी खरीदारी करने पर उसे 10 लाख रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा, क्योंकि यह सारी वस्तुएं 5 से 18 फीसदी जीएसटी के दायरे में आती हैं।
हरसिमरत बादल ने कहा कि पंजाब सरकार ने इससे पहले शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को श्री दरबार साहिब अमृतसर, श्री केसगढ़ साहिब आनंदपुर और तलवंडी साबो बठिंडा में लंगर सेवा के लिए खरीदी जाने वाली रसद को वैट से छूट दी थी। इसी तरह से नए जीएसटी एक्ट के सेक्शन 11 और आईजीएसटी एक्ट के सेक्शन 6 योग्य संस्थाओं और कारोबारी अदारों को यह छूट दी जा सकती है।
#Omg: काइली जेनर की ऐसी तस्वीरें रही बोल्डनेस की हदें पार
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि श्री हरमंदिर साहिब में दुनिया की सबसे बड़ी रसोई चलाई जाती है, जहां सारा साल लाखों लोगों को मुफ्त लंगर कराया जाता है। इस लंगर का खर्च लोगों से मिले दान से ही चलता है। समाज में धर्म, जाति, रंग और नस्ल के भेदभाव को खत्म करने और बराबरी को प्रोत्साहित करने के लिए श्री गुरु नानक देव जी ने 1481 में लंगर की प्रथा शुरू की थी।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि ये विशाल रसोई है, अमृतसर स्थित वर्ल्ड फेमस गुरुद्वारा गोल्डन टैंपल में। गुरुद्वारा के विशाल परिसर में मौजूद गुरु रामदास लंगर हाल में 24 घंटे लंगर चलता है। रोजाना 70 हजार से एक लाख तक लोग मुफ्त लंगर ग्रहण करते हैं। छुटिटयों में ये आंकड़ा बढ़ जाता है। खाने का स्वाद भी लजीज होता है। लंगर में ऑटोमेटिक रोटी मेकर मशीन से एक घंटे में 25 हजार रोटी बनती है।
इसके अलावा रोजाना 70 क्विंटल आटा, 20 क्विंटल दाल, सब्जियां, 12 क्विंटल चावल लगता है। 500 किलो देसी घी इस्तेमाल होता है। सौ गैस सिलेंडर, 500 किलो लकड़ी की खपत होती है। शुद्ध शाकाहारी भोजन तैयार करने वाले यहां के कर्मचारी नहीं, ब्लकि सेवादार होते हैं, जोकि सेवाभाव से श्रद्धालुओं से लंगर तैयार करते हैं। बाद में उन्हें पंक्तियों में बैठाकर ग्रहण करवाते हैं। सभी कुछ काफी प्रेमभाव से होता है।
भोजन में क्या-क्या पकेगा, यह पहले से ही तय होता है। जैसे ही लोग भोजन खाकर उठते हैं, बैटरी चालित मशीन से लंगर हाल की सफाई कर दी जाती है ताकि दूसरे लोग आकर बैठ सकें। इतनी बड़ी रसोई से रोजाना खाना बनाने के लिए पैसा दुनिया में बसे लाखों सिख परिवार भेजते हैं। वे अपनी कमाई का दसवां भाग गुरुद्वारों की सेवा में अर्पित करते हैं। इन्हीं पैसों से गुरुद्वारों की प्रबंध और लंगर का खर्च चलता है।
 TOS News Latest Hindi Breaking News and Features
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features
				 
						
					 
						
					