प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 30 जून की मध्यरात्री संसद के सेंट्रल हॉल से देशभर में जीएसटी लागू करते वक्त ऐलान किया कि 1 जुलाई से गंगानगर से ईटानगर और लेह से लक्क्षद्वीप तक देश में सभी सामान एक दाम पर बिकेंगे. लेकिन लेकिन यह सच नहीं है. देश में कार, मोटरसाइकिल समेत सभी गाड़ियां एक दाम पर नहीं बेची जा सकती हैं. ऐसा इसलिए कि सभी राज्य में गाडियों की बिक्री ऑन रोड प्राइस पर की जाती है और जीएसटी लागू होने के बाद भी इस व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है.

आप जब देश के किसी राज्य में कार, मोटरसाइकिल समेत कोई गाड़ी खरीदते हैं तो शोरूम पर आपको दो कीमत बताई जाती है. एक एक्स शोरूम और दूसरा ऑन रोड प्राइस. आप को गाड़ी खरीदने पर ऑन रोड प्राइस अदा करना होता है, लिहाजा जानिए कैसे एक्स शोरूम प्राइस के बाद ऑन रोड प्राइस निर्धारित की जाती है.
क्या है एक्स फैक्ट्री प्राइस?
एक्स फैक्ट्री प्राइस वह कीमत है जो कार डीलर फैक्ट्री से कार उठाने के लिए मैन्यूफैक्चरर को देता है. यानी वह कीमत जिसपर कार कंपनी अपने डीलर को कार बेचती है.
क्या है एक्स शोरूम प्राइस?
देश में गाड़ियों की बिक्री गाड़ी की कीमत (एक्स फैक्ट्री प्राइस) में रोड टैक्स जोड़कर की जाती है. यह रोड टैक्स राज्य सरकार की कर सूची में आता है और इसे पूरी तरह से जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है. रोड टैक्स जोड़ने के बाद कार की कीमत में अलग-अलग राज्यों में 5 से 15 फीसदी का अंतर आता है.
इसी एक्स शोरूम प्राइस के चलते राज्यों में गाड़ी की कीमत अलग-अलग रहती है. इसके चलते ही राजस्थान और हरियाणा जैसे राज्यों में सबसे सस्ती दरों पर गाड़ियां बेची जाती है. गौरतलब है कि रोड टैक्स जीएसटी के दायरे में नहीं है. लिहाजा अभी भी गाड़ियों की सेलिंग प्राइस प्रत्येक राज्य में अलग-अलग है. ऐसे में प्रधानमंत्री का संसद में ऐलान कि देश के हर कोने में उत्पाद एक ही दाम पर बिकेंगे, कम से कम गाडियों की बिक्री के मामले पर लागू नहीं होता.
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