हिन्दू वर्ष का तीसरा माह समाप्त हो चुका है और आज यानी शुक्रवार 25 जून से चौथे मास आषाढ़ की शुरुआत हो रही है। आषाढ़ मास को हिंदु वर्ष का प्रमुख महीना माना जाता है।
इस मास में जहां हलहरिणी अमावस्या, गुरु पूर्णिमा, जगन्नाथ रथयात्रा और देवशयनी एकादशी के पर्व आते हैं, वहीं इसी माह में साल की दूसरी गुप्त नवरात्रि का त्योहार भी मनाया जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें एक हिंदू वर्ष में चार नवरात्रि आती हैं। इनमें से दो उदय रहती हैं और दो गुप्त रहती हैं। पहली उदय नवरात्रि चैत्र की होती है, जिससे हिंदू नववर्ष की शुरुआत मानी जाती है, वहीं दूसरी आश्विन मास में मनार्इ जाती है। आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि साल की पहली गुप्त नवरात्रि होती है। दूसरी माघ मास में होती है।
इस साल आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि 11 जुलाई रविवार के दिन से शुरू हो रही है, जो 18 जुलाई तक चलेगी। यह खासतौर से हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब और आसपास के क्षेत्रों में मनाई जाती है।
आषाढ़ी नवरात्रि का शुभ मुहूर्त
इस दिन लाभ और अमृत चौघड़िया सुबह 9.08 बजे से दिन के 12.32 बजे तब रहेगा। दिन में अभिजीत मुहूर्त 12.05 बजे से 12.59 बजे तक रहेगा। घटस्थापना के लिए यह समय अच्छा है।
मां दुर्गा की पूजा विधि
सुबह उठकर नित्यकर्म और स्नान करने के बाद पूजाघर और घर को स्वच्छ करें। साफ कपड़े पहन कर मां दुर्गा की मूर्ति या प्रतिमा को स्वच्छ स्थान पर आसीन करें और उन्हें लाल रंग के वस्त्र पहनाएं।
मिट्टी का कलश लें और उसे धोकर उसमें गंगाजल भरें। उसके मुंह पर आम का पल्लव लगाएं और ऊपर नारियल रखें। कलश पर लाल कपड़ा लपेटें और कलावा से बांधें और इसे घट स्थापना के शुभ मुहूर्त में स्थापित करें।
मिट्टी के बर्तन में मिट्टी भरें और उसमें जौ बोएं, तत्पश्चात उसमें पानी का छिड़काव करें।
मां की मूर्ति या तस्वीर का जल से अभिषेक करें और उन्हें पुष्प, धूपबत्ती, दीपक और कपूर अर्पित करें।
अपराजिता श्रीवास्तव
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