दिल्ली हाई कोर्ट ने सैनिकों को खराब भोजन परोसे जाने से संबंधित सेना के एक जवान की शिकायत मंगलावार को खारिज कर दी. लेकिन केंद्र सरकार और सेना को जवान के लिए पूरी तरह संरक्षण प्रदान करने का आदेश दिया है. न्यायमूर्ति विनोद गोयल ने जवान की एक याचिका को निपटाते हुए यह निर्देश जारी किया जिसमें खाने की गुणवत्ता से संबंधित उसकी एक शिकायत की वजह से उसे जान का खतरा होने की आशंका जताई गयी है.

हाई कोर्ट ने भोजन की गुणवत्ता के संबंध में जवान के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उग्रवाद निरोधक अभियानों के दौरान शिविरों में सेना के अफसर और जवान एक ही खाना खाते हैं, इसलिए यह पूरी तरह असंभव है कि खराब खाना परोसने दिया जाएगा. कोर्ट ने कहा कि अगर खराब खाना बनाया या परोसा जा रहा होता तो जवान को अपने वरिष्ठ अधिकारियों के सामने इस मामले को लाना चाहिए था जहां वह तैनात था.
दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि सैनिक ने अपनी याचिका में यह नहीं बताया कि खराब भोजन से संबंधित उसकी शिकायत को वापस लेने के लिए वास्तव में उस पर किसने दबाव बनाया. सरकार और सेना ने अदालत को बताया था कि मामले से संबंधित अथॉरिटी शिकायत को देख रही है लेकिन इसमें देरी हो रही है क्योंकि जवान 28 जून से छुट्टी पर चला गया था.
सरकार की ओर से कोर्ट में यह भी बताया कि जवान आदतन अपराधी रहा है जिसे 5 बार सेवा से भागने के लिए विभिन्न अवधियों के लिए सश्रम कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है और वह शारीरिक रूप से भी दुरुस्त नहीं था. वकील ने अदालत में कहा कि किसी जवान द्वारा सेना की हिरासत में सजा काटी जाती है और जवान ने अदालत के समक्ष अपनी याचिका में इन तथ्यों का खुलासा नहीं किया. असम में तैनात जवान ने याचिका में आरोप लगाया कि जब उसने खराब खाना परोसे जाने की शिकायत की तो अधिकारियों ने उसका उत्पीड़न शुरू कर दिया.
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