मुंबई।ध्वनि प्रदूषण से जुड़े नियमों में बदलाव करने वाली केंद्र सरकार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने तगड़ा झटका दिया है। शुक्रवार को हाईकोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण से संबंधित नियमों में किए गए संशोधन पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने नियमों में किए गए बदलाव को असंवैधानिक मानते हुए प्रथमदृष्ट्या इसे संविधान के अनुच्छेद 21 व 14 के विपरीत बताया है।
– केंद्र सरकार ने कानून में बदलाव करते समय जनहित से जुड़े सिध्दांत का पालन नहीं किया है। कानून में बदलाव करते समय जरूरी है कि लोगों के सुझाव व आपत्तियों को आमंत्रित किया जाए। पर्यावरण कानून के तहत इसे अनिवार्य किया गया है लेकिन केंद्र सरकार व राज्य सरकार ने इसका पालन नहीं किया।
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– न्यायमूर्ति अभय ओक की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की पूर्णपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि हर नागरिक को गरिमा व सुख से रहने का अधिकार है। तेज आवाज सुनने के लिए किसी को बाध्य नहीं किया जा सकता। इसलिए सरकार की ओर से कानून में किया गया बदलाव मौलिक अधिकारों का हनन है और यह असंवैधानिक है।
– सरकार ने मनमाने तरीके से कानून में बदलाव किया है। यदि सरकार के संशोधन को स्वीकार कर लिया जाए तो कहीं पर भी कोई शांत क्षेत्र (साइलेंस जोन) नहीं होगा। हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार नियमों का उलंघन करनेवाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करे। पीठ ने कहा कि यदि सरकार के संशोधन को स्वीकार किया जाएगा तो स्कूल व अस्पताल के पांच मीटर के दायरे में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल की अनुमति प्रदान की जाएगी। सरकार ने जो संशोधन किया है उसमे कोई जनहित नजर नहीं आता है।