लखनऊ: कई माह से बिजली दरों में बढ़ोतरी की चर्चा पर बुधवार को पूर्ण विराम लग गया। उद्योगों को छोड़ गांव से लेकर शहरवासियों को महंगी बिजली का तगड़ा झटका लग गया। गुरुवार को उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग टैरिफ आर्डर जारी कर दिया।
नियामक आयोग ने गुरुवार को चालू वित्तीय वर्ष के लिए बिजली की दरें घोषित कर दी। चूंकि बुधवार को अंतिम चरण के मतदान की प्रक्रिया पूरी हो गई है इसलिए सरकार के साथ ही निर्वाचन आयोग को भी अब दरें घोषित करने पर किसी तरह की आपत्ति नहीं है। सूत्रों के मुताबिक लघु, मध्यम व भारी उद्योगों व लाइफ लाइन उपभोक्ताओं को छोड़कर अन्य सभी श्रेणियों के बिजली उपभोक्ताओं की बिजली महंगी होगी।
चूंकि गांव की बिजली की दरें लंबे समय से न बढऩे के कारण काफी कम हैं इसलिए सर्वाधिक बढ़ोत्तरी ग्रामीण उपभोक्ताओं की बिजली की दरों में ही दिखाई देगी। अब तक जहां ग्र्रामीणों को 180 रुपये प्रति किलोवाट प्रतिमाह देना होता है वहीं अगले सप्ताह से 300 रुपये देने होंगे। पहली अप्रैल से यह 400 रुपये हो जाएगी। प्रति यूनिट दर 2.20 रुपये से बढ़कर 100 यूनिट तक तीन रुपये और उससे अधिक अधिकतम 5.50 रुपये होगी। निजी नलकूप का फिक्स चार्ज 100 से बढ़कर 150 रुपये किया जा रहा है।
इसी तरह शहरी घरेलू उपभोक्ताओं के लिए फिक्स चार्ज 90 से 100 रुपये तथा खपत के अनुसार प्रति यूनिट दर 4.90 से 6.50 रुपये हो जाएगी। वाणिज्यिक उपभोक्ताओं का फिक्स चार्ज 600 से 1000 तथा मिनिमम चार्ज 375 से 500 रुपये बढ़कर 425 से 575 रुपये होगा। प्रति यूनिट अधिकतम दर 8.30 रुपये होगी।
मौजूदा रेग्यूलेटरी सरचार्ज आगे भी बना रहेगा। गौरतलब है कि वित्तीय संकट से जूझ रहे पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने तो औसतन 22 फीसद बिजली की दरें बढ़ाने का प्रस्ताव किया था लेकिन नियामक आयोग ने जन सुनवाई करने के बाद लगभग 15 फीसद ही दरें बढ़ाने का निर्णय किया है। चूंकि नियमानुसार आयोग द्वारा टैरिफ आर्डर जारी होने के सात दिन बाद वह प्रभावी होता है इसलिए उपभोक्ताओं को अगले सप्ताह से नई दरों के मुताबिक बिजली के बिल का भुगतान जनवरी से करना होगा।