
14 नवंबर से होगी शुभ मुहूर्त की शुरुआत
कहा जाता है कि चातुर्मास में भगवान विष्णु चिर निद्रा में जाते हैं। ऐसे में हिंदू धर्म में किसी प्रकार का कोई काम नहीं हो सकता है। कथा और पूजन के अलावा विवाह पर पाबंदी होती है। लेकिन 14 नवंबर से चातुर्मास खत्म हो रहा है। इसी दिन देवउठनी एकादशी पड़ रही है। इस दिन से विवाह व अन्य शुभ काम शुरू होंगे। चार माह तक यह कार्य वर्जित रहने के कारण लोग व्रत रखते हैं। इसे देव दीपावली भी कहते हैं। लोग मंदिरों में सजावट करते हैं और भगवान की पूजा करते हैं।
तुलसी विवाह भी होता है
कार्तिक महीने में ही शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन देवउठनी एकादशी पड़ता है। 14 नवंबर को सुबह साढ़े पांच बजे से यह शुरू होगा और 15 नवंबर को साढ़े बजे सुबह यह खत्म होगा। इसी दिन भगवान विष्णु का विवाह तुलसी के साथ होता है। भगवान विष्णु को शालीग्राम के रूप में पूजते हैं। भगवान विष्णु को तुलसी के साथ काफी अहम माना जाता है। इसलिए 15 नवंबर को दोपहर एकबजे से लेकर सवा तीन बजे तक व्रत का पारण हो सकेगा। एकादशी की पूजा काफी विधि विधान से करते हैं। इसके लिए सुबह स्नान करने के बाद विष्णुजी का गंगाजल से अभिषेक करें और दीपक जलाकर उनको फूल चढ़ाएं। शाम को विष्णुजी को भोग लगाकर आरती करें। तुलसी दर जरूर चढ़ाएं। इसी दिन तुलसी विवाह करने से काफी अच्छा माना जाता है। यह काफी शुभ है। लोग तुलसी के पास दीपक भी जलाते हैं। उनका श्रंगार करते हैं।