जन्माष्टमी का त्योहार हो चुका है लेकिन अभी कान्हा के जन्म के बाद उनके हिस्से के बाकी उत्सव बाकी है। जी हां, जिस प्रकार घर में किसी बच्चे के जन्म लेने पर उसका छठी मनाई जाती है ठीक उसी तरह कान्हा की भी मनाई जाएगी। जन्माष्टमी के छह दिन बाद छठी का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन काफी अच्छे से भगवान को भोग लगाया जाता है। आइए जानते हैं कि छठी उत्सव कैसे मनाते हैं।
कैसे करें तैयारी
छठी लोग ठीक वैसे ही मनाते हैं जैसे कि उनके घर में किसी बच्चे का जन्म हुआ हो। जन्म के छह दिन बाद होने वाले उत्सव को छठी कहते हैं। इसे कृष्ण छठी कहते हैं। इस दिन बच्चे की स्वास्थ्य की कामना की जाती है। यह इस बार 24 अगस्त को मनाई जाएगी यानी जन्माष्टमी के छह दिन बाद। इसकी तैयारी के लिए पहले ही घर पर पकवान बनाने के लिए सामान लाकर रख लें। आप चाहें तो संगी त और भजन का आयोजन भी करवा सकते हैं।
छठी उत्सव की विधि
जन्माष्टमी के छह दिन बाद कृष्ण की छठी पर सुबह नंद गोपाल को स्नान कराएं। उनको दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से स्नान कराने के बाद उनको शंख में गंगाजल भरके फिर अभिषेक कराएं। उनको नए वस्त्र पहनाएं। जिसमें पीले रंग का खास ख्याल रखा गया हो। फिर चंदन का टीका लगाकर धूप और दीप जलाएं। फिर उनको मिश्री और माखन का भोग लगाएं। उनके लिए कुछ और पकवान जैसे खीर, हलवा, लड्डू भी चढ़ाएं। इस दिन घर पर पीला खाना बनाएं जिसमें कढ़ी चावल अच्छा रहेगा। इसको घर वालों को ग्रहण करना चाहिए। छठी का दिन बच्चे को नए कपड़े पहनाने और उल्लास का होता है।
GB Singh