फाल्गुन मास चल रहा है और इस माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि में फुलेरा दूज मनाने की तैयारी शुरू हो गई है। यह पर्व काफी खास माना जाता है। फुलेरा दूज से ही होली की खुमारी लोगों पर चढ़ जाती है और रंगों के पर्व की शुरुआत होती है। फुलेरा दूज से ही गांवों में फाग गाने की शुरुआत भी होती है। कहा जाता है कि फुलेरा दूज दोष से मुक्त होता है इसलिए हर प्रकार के कार्य इस दिन किए जा सकते हैं। किसी प्रकार का कोई मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती है। आइए जानते हैं इस पर्व के बारे में।
कब है फुलेरा दूज और मनाने का कारण
फुलेरा दूज शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह पर्व चार मार्च को शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन हर घंटा शुभ होगा। यह बसंत ऋतु से जुड़ा पर्व है जो ऋतुओं में राजा है। कहा जाता है कि जिस प्रकार बसंत ऋतु को हिंदू कैलेंडर में प्रेम का माह भी कहा जाता है ऐसे में यह वैवाहिक जीवन के लिए काफी अच्छा होता है और प्रेम के लिए भी काफी अच्छा कहा जाता है। इस दिन राधा और कृष्ण की आराधना की जाती है और प्रेम के लिए साथी का चुनाव भी कुछ लोग इसी दिन करते हैं तो उनके लिए काफी अच्छा होता है।
वैवाहिक जीवन के लिए अच्छा है यह दिन
कहा जाता है कि फुलेरा दूज वैवाहिक जीवन के लिए काफी अच्छा होता है ऐसे में इसे मधुर बनाए रखने के लिए राधाकृष्ण की पूजा करनी चाहिए। फुलेरा दूज में ही इनकी पूजा करने और फूल अर्पित करते हैं तो प्रेम बढ़ेगा। इस दिन मंदिर जाकर जरूर पूजा करनी चाहिए। इस दिन श्रृंगार की चीजें मंदिर में चढ़ानी चाहिए और उसमें से एक वस्तु को अपने पास रख लें। जिनका विवाह नहीं हो रहा है उनका विवाह ऐसे में जल्दी होगा। गाय, मोर और बछिया को इस दिन आहार देना चाहिए और निंदा नहीं करनी चाहिएि। मांस, मदिरा और किसी प्रकार के व्यसन से दूर रहना चाहिए।
GB Singh