सावन के महीने में भोलेनाथ और उनके परिवार की आराधना का समय है। इसके बाद भी चातुर्मास तक परिवार से जुड़े देवी और देवताओं की पूजा होगी। सावन मास में महादेव की पूजा के समय ही उनके गले में रहने वाले नागदेव की पूजा भी होती है। उनके लिए विशेष दिन नागपंचमी का बनाया गया है। इस दिन का विशेष महत्व सावन के दौरान दिखता है। इसलिए इस दिन भगवान के साथ ही नागदेवता की पूजा करना अच्छा होता है। इस पूजा से जुड़ी खास बातों का ध्यान रखें।

नागदेव क्यों रखते हैं महत्व
नाग देवता का महत्व हिंदू धर्म में सदियों से हैं। हर देवता का इससे जुड़ाव दिखता है। यह पूजनीय हैं और महत्वपूर्ण भी। अगर आप भगवान शिव को देखेंगे तो उसमें आपको नाग देव गले में मिलेंगे। विष्णु जी को देखेंगे तो उनके शैय्या पर शेष नाग दिखेंगे। राम और कृष्ण के भाई के रूप में शेषनाग ने ही अवतार लिया जो लक्ष्मण और बलराम थे। समुद्र मंथन में भी शेषनाग का योगदान था जिनको पकड़कर समुद्र मथा गया था।
कैसे करें नागपंचमी पर पूजा
नागपंचमी का त्योहार हमेशा सावन महीने में पंचमी के दिन ही मनाया जाता है। यह दिन नाग देवता के समर्पित माना गया है। इस दिन पर्व का शिव जी से विशेष संबंध है। यह शुक्ल पक्ष में पंचमी को होता है। नागपंचमी के दिन ही नागों की पूजा को लेकर लोग तमाम तरह के कार्य करते हैं। जैसे उनको दूध पिलाते हैं और अन्य चीजें चढ़ाते हैं। जानकारों की ओर से बताया गया है कि नाग को दूध पिलाने से अच्छा है कि सपेरे से नाग लें और उसे मुक्त कराएं और जंगल में छोड़े। यह अच्छा तरीका है। इसके अलावा कालसर्प दोष वाले भी नाग नागिन का जोड़ा लेकर उसे छोड़ दें तो यह अच्छा होगा। नाग को दूध पिलाने से अच्छा है कि उनको अभिषेक कराएं। खुले में साप का अभिषेक आसान नहीं है ऐसे में रुद्राभिषेक कर ससकते हैं। सावन में नाग-नागिन का चांदी का जोड़ा शिवलिंग पर अर्पित करने से और गंगा में प्रवाहित करने से भी कुंडली से दोष दूर होते हैं।
GB Singh
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