वैशाख मास की चतुर्थी को संकष्टी का व्रत किया जाता है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित है। इस पूजा की खास बात है कि इसमें चंद्र पूजा की जाती है और चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। हालांकि पूजा से जुड़ी कुछ बातों का ध्यान देना बहुत जरूरी है। संकष्टी व्रत का कब है मुहूर्त और क्या है विधि, आइए जानते हैं।
शुभ मुहूर्त में करें पूजा
जैसा की हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह दो चतुर्थी होती है। हर चतुर्थी का अपना महत्व है। एक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी कहलाती है और दूसरी शुक्ल पक्ष की चतुर्थी कहलाती है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी में संकष्टी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी में विनायक पूजा की जाती है। पंचांग के अनुसार 19 अप्रैल यानी मंगलवार को संकष्टी चतुर्थी है। इस दिन व्रत होता है। लेकिन चतुर्थी तिथि शााम को साढ़े चार बजे से लग रही है और यह 20 अप्रैल को दोपहर में दो बजे तक चलेगी। ऐसे में चतुर्थी का व्रत के लिए चंद्रमा को अर्घ्य देना आवश्यक है तो लोगों को 19 के दिन ही चतुर्थी मनानी होगी। चंद्रोदय 9 बजकर 50 मिनट पर होगा।
कैसे करें पूजा
वैसे तो हिंदू धर्म में किसी तरह की पूजा और व्रत के लिए उदया तिथि का महत्व है, लेकिन इस पूजा में चंद्रमा को अर्घ्य देना आवश्यक है पूर्णिमा के दिन। अब जब 20 अप्रैल को पूर्णिमा केवल 2 बजे तक है तो उस दिन शाम को पूर्णिमा में चांद को अर्घ्य नहीं दे सकते इसलिए अर्घ्य 19 को ही शाम को देंगे। इस पूजा में तुलसी को गणेश पर न चढ़ाएं। भगवान गणेश की पूजा कर उन्हें भोग आवश्यक लगाएं। पशु-पक्षियों को खाना देना भी इस व्रत में आपको काफी फल देगा। इस दिन भगवान गणेश को प्रिय कार्य करने चाहिए। जिसमें बड़े लोगंों की सेवा और आदर और अच्छा बर्ताव करना चाहिए।
GB Singh