अंतरराष्ट्रीय अभियान आईसीएएन या आईकैन को साल 2017 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया है. यह अभियान परमाणु हथियारों को खत्म करने के लिए काम कर रहा है. जानिए जानते हैं आईकैन क्या है और इसका काम क्या है, साथ ही इसे नोबेल शांति पुरस्कार से क्यों प्रदान किया गया है…
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आईकैन का पूरा नाम इंटरनेशनल कैंपेन टू एबोलिश न्यूक्लियर वेपन्स है. यह खुद को 100 से अधिक देशों के गैर-सरकारी संगठन यानि एनजीओ का समूह बताता है. यह परमाणु हथियारों निरस्त्रीकरण के लिए काम कर रहा है.
इसे परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के विनाशकारी परिणामों की तरफ दुनिया का ध्यान खींचने और अंतरराष्ट्रीय संधि के जरिए इनके इस्तेमाल पर रोक लगाने के प्रयासों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
आईकैन परमाणु हथियारों के खतरों के बारे में विश्व को जागरुक करने में सफल रहा है और इस खतरे को मिटाने की दिशा में काम कर रहा है.
आईकैन का आरंभ ऑस्ट्रेलिया से हुआ था, लेकिन इसके गठन की आधिकारिक घोषणा 2007 में वियना में की गई थी. इसका मुख्यालय जिनेवा में है.
आईकैन के प्रयासों की बदौलत ही 122 देशों ने परमाणु हथियारों के निवारण के लिए संयुक्त राष्ट्र की संधि को मंजूरी दी थी.
इस समूह ने परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने से संबंधित संयुक्त राष्ट्र संधि के लागू होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
परमाणु शक्तियों से लैस नौ देशों ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए. परमाणु विरोधी समूह की ओर से शांति पुरस्कार ग्रहण करने के बाद आईसीएएन प्रमुख बीट्रिस फिन ने अपने संबोधन में कहा कि सभी राष्ट्रों को परमाणु हथियारों का अंत करने का फैसला करना चाहिए, नहीं तो हम खत्म हो जाएंगे. फिन ने कहा कि हमारे सिर पर हमेशा तलवार लटकी हुई है.