आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ चंदा कोचर के पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। वहीं पूरे मामले पर सेबी की नजर भी है।
यह था मामला
वीडियोकॉन ग्रुप के मालिक धूत ने दीपक कोचर के साथ मिलकर बराबर की पार्टनरशिप में दिसंबर 2008 में न्यूपावर नाम से एक कंपनी खोली थी। इसमें यह भी कहा गया था कि कोचर परिवार, चंदा कोचर के रिश्तेदार महेश आडवाणी और नीलम आडवाणी संदेहास्पद बिजनेस ट्रांजेक्शन की मदद से धूत परिवार की ओर से स्थापित कंपनी न्यूपावर के मालिक बन गए थे। गुप्ता का कहना था कि लोन के बदले कंपनी का मालिकाना हक कोचर परिवार को ट्रांसफर किया गया था।
20 बैंकों ने दिया था कर्ज
आईसीआईसीआई बैंक ने कहा है कि वीडियोकॉन को 20 बैंकों ने लोन दिया था। बैंक लोन देने वाले कंशोर्शियम का हिस्सा था, जिसमें उसका योगदान मात्र 10 फीसदी था। अन्य बैंकों ने जिन शर्तों पर वीडियोकॉन को लोन दिया था, उसी का पालन बैंक ने भी किया था।
बैंक ने कहा है कि उसका लोन देने का सिस्टम मजबूत है। यह इस तरह से बनाया गया है कि कोई एक शख्स किसी कंपनी को कर्ज देने के बारे में फैसला नहीं कर सकता। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि बैंक की सीईओ चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को लोन पास कराने की एवज में एक कंपनी में हिस्सेदारी दी गई थी।
सेबी की भी नजर
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि नियामक ने निजी क्षेत्र के इस बैंक द्वारा बीते कुछ साल में किये गये विभिन्न खुलासों में शुरुआती जांच शुरू की है। वहीं, शेयर बाजार भी पीछे 2012 तक के कुछ सौदों के संबंध में हालिया रिपोर्टों के बारे में अतिरिक्त स्पष्टीकरण मांग सकते हैं।
वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज तथा इसके प्रवर्तक भी नियामक की जांच के दायरे में आ गए हैं, क्योंकि यह मामला ऋण लेने के बदले कथित तौर पर अवैध तरीके से फायदा पहुंचाने से जुड़ा हुआ है। कंपनी को आईसीआईसीआई बैंक तथा कुछ सरकारी बैंकों सहित ऋणदाताओं के एक समूह ने ऋण दिया था।
सेबी ने पिछले कुछ सप्ताह में निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक द्वारा पिछले कुछ वर्षों में जारी विभिन्न डिस्क्लोजर की प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। वहीं स्टॉक एक्सचेंज इस संबंध में सामने आई हालिया रिपोर्ट पर अतिरिक्त स्पष्टीकरण मांग सकती है, जो साल 2012 में हुए सौदों से जुड़ी है।
देश का चौथा सबसे बड़ा बैंक
आईसीआईसीआई बैंक बाजार पूंजीकरण के लिहाज से देश का चौथा सबसे बड़ा बैंक है। इसका बाजार पूंजीकरण करीब 1.8 लाख करोड़ रुपये है और इसके शेयर बाजार के मुख्य संवेदी सूचकांक सेंसेक्स में भी शामिल हैं।
बैंक के बोर्ड ने चंदा कोचर में पूर्ण भरोसे का इजहार किया है, जबकि बैंक से संबंधित सूत्रों के मुताबिक 2016 में नियामकीय सवालों का संतोषपूर्ण ढंग से जवाब दिया गया था और उस समय वीडियोकॉन को दिए गए ऋण को लेकर हितों के टकराव जैसी कोई बात नहीं पाई गई थी।