पूर्वांचल में विशेष तौर पर बिहार और झारखंड का त्योहार छठ महापर्व नहाय खाय के साथ शुरू हो चुका है। त्योहार पूरे देश में काफी धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस पर्व में लोग डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। माताएं अपने पुत्रों के लिए व्रत को करती हैं और उनके लिए प्रार्थना करती हैं। यह व्रत काफी खास माना जाता है और कठिन भी। व्रत को करने से महिलाओं को हर इच्छा की प्राप्ति होती है। लेकिन क्या आपको पता है कि छठ पर्व में चढ़ाए जाने वाले फलों का भी अपना महत्व होता है। डलिए में अर्पण के लिए रखे जाने वाले फल की क्या खासियत है आइए जानते हैं।
फल की खूबी
नहाय खाय के बाद खरना और उसके बाद अस्तचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने पर यह व्रत पूरा होता है। महिलाएं अपनी डलिया में तमाम तरह के फल ले जाती हैं। सभी फलों की अपनी खासियत है। इससे छठी मइया काफी प्रसन्न होती हैं।
केला : इस व्रत में केले का काफी महत्व है। यह भगवान विष्णु का सबसे अधिक प्रिय फल माना जाता है। केले को लेकर कई तरह की जानकारी हिंदू धर्म में मिलती है। यह काफी शुद्ध फल माना जाता है। लोग माता को केला चढ़ाते हैं। पूजा में इसका उपयोग काफी अच्छा है।
बड़ा नींबू : बड़ा नीबूं जिसे डाभ नींबू या फिर बेल नींबू भी कहते हैं। यह काफी बड़े आकार में होता है। इसका स्वाद भी काफी खट्टा मीठा होता है। इसे पशु व पक्षी खाने से कतराते हैं। यह माता को चढ़ाया जाता है।
मौसमी फलों व सब्जियों का उपयोग
छठ पर्व पर नारियल भी चढ़ाते हैं। यह पवित्र होने के साथ ही पूजा के लिए काफी अहम है। इस व्रत में मौसमी फल और सब्जियों का उपयोग काफी बढ़ चढ़कर होता है। लोग हल्दी, मूली और अनानास चढ़ाते हैं। इसके अलावा गन्ना भी काफी जरूरी माना जाता है। इसके रस से बने गुड़ का प्रसाद बनाते हैं। पूजा स्थल पर गन्ने की छांव में ही पूजा होती है, उसकी एक छोटी झोपड़ी बनाते हैं। सुथानी औषधीय पौधा है जो शकरकंद की तरह देखने ेमं होता है और यह मिट्टी में होता है। सुपाड़ी और सिंघाड़ा भी छठ पूजा में काफी उपयोग में लाया जाता है। सिंघाड़ा काफी कठोर होता है और इसे पशु पक्षी नहीं खाते। यह तालाब में होता है। यह फल माता को अति प्रिय है। इसका आटा अन्य व्रत में काफी उपयोग में लाया जाता है।
GB Singh