विदा हो रहे हैं बप्पा, विसर्जन के समय रखें खास ध्यान

       पिछले दस दिनों से घर में सुख-समृद्धि की कामना के साथ विराजे गजानन का सोमवार को विदाई समारोह है। कई स्थानों में सुबह तो कहीं दिन भर विसर्जन की तैयारी चलती रही। पुरे महाराष्ट्र में भी आज गणपति को लोग विदाई देने के लिए निकल रहे हैं । लेकिन गणपति के विसर्जन पर भक्तों को कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए। गणपति के विसर्जन के दिन उनकी आरती और पूजा के बाद गाजे-बाजे के बाद विदा करनी चाहिए। लोग उनको अपनी इच्छा बताते हैं और अगले साल फिर आने की कामना भी करते हैं। लेकिन इस दिन जो काम करना चाहिए वह जानना जरूरी है।.

सारे दुख ले जाएंगे गणपति, विसर्जन का शुभ समय
गणपति महाराज आज सारे दुखों को अपने साथ ले जाएंगे। लोग उनकी आरती और पूजा के बाद उनको नदी के तट पर विसर्जन के लिए ले जाएंगे। इस दौरान भंडारे का भी आयोजन कहीं-कहीं किया गया है। दस दिनों के लिए मंदिरों और घरों में गणपति के विराजने से लोगों की तकलीफ भी कम होने की कामना लोग करते हैं। विसर्जन के लिए सुबह नौ से दोपहर 12 बजकर 21 मिनट विसर्जन किया गया। इसके बाद एक बजे से साढ़े तीन बजे तक अच्छा मुहूर्त बताया जा रहा है। इसके बाद शाम को साढ़े चार बजे से छह बजे तक राहुकाल रहेगा। इस दौरान विसर्जन नहीं करना चाहिए। इसके बाद अमृतकाल रात में आठ बजकर 14 मिनट से लेकर नौ बजकर 50 मिनट तक है।

विसर्जन में करें यह काम
गणपति के विसर्जन में यह काम करना अच्छा माना जाता है। इससे गजानन जाते-जाते लोगों को खुश रहने का आशीर्वाद और मनोकामना भी पूरी करते हैं। उनको उनकी प्रिय चीजें अर्पित करनी चाहिए। उन्हें विसर्जन के समय पीले या लाल वस्त्र पहनाने चाहिए। भगवान को सिंदूर, दूर्वा घास, मोदक, केला और घी के साथ मिठाई अर्पित करना चाहिए। भगवान गणेश के मूषक राज के कान में अपनी मनोकामना कहने से भी लोगों की इच्छा पूरी होती है। इस दिन भगवान को कई तरह के भोग भी पसंद है। साथ ही भगवान गणेश को फूल भी चढ़ाएं। उनको पीले गेंदे के फूल चढ़ाना काफी अच्छा फल देता है। इससे भगवान को काफी प्रसन्नता होती है। भक्तों को किसी प्रकार के बुरे काम और झूठ भी नहीं बोलना चाहिए। साथ ही ब्राह्मणों को भी दान या भोजन कराना अच्छा होता है।

GB Singh

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