पाकिस्तान किस कदर आर्थिक कंगाली के जाल में फंस गया इसे वहां के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकर मोहई यूसुफ के बयान से समझा जा सकता है. उन्होंने वहां के स्थानीय जियो न्यूज़ चैनल से बात करते हुए कहा कि पाकिस्तान अब आर्थिक रूप से आजाद नहीं रहा. एनएसए मोईद यूसुफ ने माना का पाकिस्तान ऋण के जाल मे ऐसा फंसा है कि अब उसे दूसरे देशों की शर्तें माननी पड़ रही हैं.
सीधे शब्दों में कहा तो पाकिस्तान से पहली बार यह माना कि उसकी आर्थिक आजादी चली गई है. यह बयान इमरान सरकार के लिए बड़ी फजीहत कर सकता है. मोईद यूसुफ ने कहा कि हमारी सरकार पूरा नहीं करते उन मांगों को जो आबादी को चाहिए. ऐसे में हमें बाहर कर्ज के लिए जाना पड़ता है. और जब हम बाहर पैसा मांगने जाते हैं तो हमारी विदेश नीति प्रभावित होती है.
उन्होंने कहा कि ऐसे में आप जो काम करना चाहते हैं वो काम नहीं कर पाते हैं. मोईद ने कहा कि आर्थिक स्वतंत्रता किसी मुल्क तब तक नहीं हो सकती जब तक आप आर्थिक तौर पर स्वतंत्र न हों.
इससे पहले, पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) मोईद यूसुफ ने शुक्रवार को कहा कि आर्थिक सुरक्षा देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के केंद्र में होनी चाहिए. इस कथन से उन्होंने अपनी तरह की पहली महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के सिद्धांतों को रेखांकित किया, जिसे पिछले महीने कैबिनेट ने समर्थन दिया था.
यूसुफ ने बंद कमरे में एक सत्र के दौरान सीनेट की रक्षा समिति को राष्ट्रीय सुरक्षा नीति की मुख्य विशेषताओं के बारे में जानकारी देने के बाद कहा, “नीति आर्थिक सुरक्षा को व्यापक सुरक्षा के मूल के रूप में रखती है क्योंकि यह मानती है कि केवल हमारे नागरिकों और समग्र राष्ट्रीय संसाधनों की बढ़ती समृद्धि के माध्यम से, पाकिस्तान मानव सुरक्षा और पारंपरिक सुरक्षा को मजबूत करने में अधिक निवेश कर सकता है.”
2022-26 के बीच की अवधि को ध्यान में रखकर तैयार पांच साल का नीति दस्तावेज, पाकिस्तान सरकार द्वारा अपनी तरह के पहले रणनीति पत्र के रूप में तैयार किया जा रहा है जो देश की राष्ट्रीय सुरक्षा दृष्टि और उन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए दिशानिर्देशों की व्याख्या करता है.